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भ्रम विध्वंसनम् ।
अथ मिथ्यात्वि क्रियाधिकारः।
भ्रम विध्वंसन कुमति कुहेतु खंडन सुमति सुहेतु मुखमंडन मिथ्यात्व. मत विहंडन. सिद्धान्त न्याय सहित. श्री भिक्षु महा मुनिराज कुत सिद्धान्त हुंडी तेहना सहाय्य थकी संक्षेप मात्र वली विशेषे करी परवादी ना कुहेतुनी शङ्का ते भ्रम तेहनूं विध्वंसन ते नाश करीवू ए ग्रन्थे करि. ते माटे ए ग्रन्थ नूं नात "भ्रम विध्वंसन” छै। ते सूत्र न्याय करी लिखिये छ।
भगवान् रो धर्म तो केवली री आज्ञा माही छै। ते धर्मरा २ भेद संवर, निर्जरा. ए बिहूं भेदा में जिन आज्ञा छै। ए संवर निर्जरा बेहुं इ धर्म छै। एसंवर निर्जरा टाल अनेरो धर्म नहीं छै। केइ एक पाषण्डी संवर ने धर्म शुद्ध पिण निर्जरा ने धर्म श्रद्ध नहीं। त्यारे संवर निर्जरांरी भोलखणा नहीं। ते संवर निर्जरा रा अजाण थका निर्जरा धर्म ने उथापरा अनेक कुहेतु लगाये। जिम अनाण वादी ( अज्ञान वादी ) पाषण्डो ज्ञान ने निषेधे तिस केई पापण्डो साधुरा वेष माहि साधु रो नाम धरावे छै। अने निर्जरा धर्म ने निषेध रक्षा है। अने भगवान तो ठाम २ सूत्र में संयम. तप. ए बिहू धर्म कह्या छै।