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भ्रम विध्यसमम्।
विना चाले अनें एकःपिण जीव न हणाई तो पिण ६ काय नों घाती आज्ञा लोपी ते माटे कहोजे। अने आशा सहित चालतां साधु थी जीव मरे तो पिण तेहने पाप न लगे। एयूं का। ते माटे सरागी साधु ने पिण आज्ञा सहित कार्य करतां जीव घात रो पाप न लागे तो आज्ञा सहित नदी उतसां पाप किम लागे। तिवारे कोई कहे नदी उतरवा नी आज्ञा किहां दीधी छै। जे १ मास में ३ माया ना स्थान सेव्यां सवलो दोष कह्यो तो दोय सेव्यां थोड़ो दोष तो लागे। तिम १ मास में
नदी ना लेप लगायां.सबलो.दोष कहो । तो दोय नदी ना लेप लगायां थोडो दोष छै, पिण धर्म नहीं। एडवो कुहेतु लगावी नदी उतखा दोष कहे। तेहनों उत्तर-जे २१ सबला दोषां में कह्यो-३ लेप ते नाभि प्रमाण पाणी एड्वो १ मासमें ३ लेप लगायां सबलो दोष कह्यो। जे नामि प्रमाण एहवी मोटी नदी एक मासमें एक हीज उतरवी कल्पे छै। ते माटे एहवी मोटी नदी बे उतसां थोड़ो दोष, अनें ३ उतसां सबलो दोष छै। ए नाभि प्रमाण पाणी तेहने लेप कहिए। ते नदी एक मास में १ करपे, गोडा प्रमाणे २ कल्पे, अर्ध जवा ते पिण्डो प्रमाण पाणी हुवे ते नदी १ मास में ३ कल्पे। अने नाभि प्रमाण लेप नदी एक मास में ३ उत्तयां सबलो दोष छै! ते एक मास में एकहिज कल्पे, ते माटे दोय नों थोडो दोष छै। ठाणाङ्ग ठा० ५ उ. २ एक मास में घणो पाणी एहवी ५ मोटी नदी बे वार ३ वार उतरथी बर्जी। पिण एक वार उतरवी वर्जी नथी। ते मोटी नदी एक मास में नावादिके करो तथा जङ्गादिके करी १ वार उतरवी कल्पे। पिण बे वार न कल्पे ते बे वार से थोड़ो दोष भने जे १ वार उतरवी १ मास में ते नदी ३ वार उतसां सबलो दोष लागे। ते पाठ लिखिये है।
... अन्तो मासस्स तो उदग लेव करेमाणे सबले ।
दिशाश्रुतस्कंध, अ० २ ।
ध० एक मास माहे. त० तीन. उ० पाणी ना लेप लगावे. लेप ते नाभि प्रमाण जल अव. गाहे ते लेप कहिए नवमो सघलो दोष कह्यो.
अथ इहां १ मास में ३ उदक लेप कह्या। ते उदक लेप नों अर्थ नाभि प्रमाणे जल भवगाहे ते लेप.कहिये। एहवो अर्थ कियो छै। तथा ठाणाङ्ग ठाणे ५