________________
सूत्रपठनाऽधिकारः ।
३७३
भयो कोई इग्यार अङ्ग भण्यो एहवा अनेक ठामे पाठ छै । पिण अमुक श्रावक एतला सूत्र भयो पहवो पाठ किहां ही चाल्यो न थी । ते माटे सिद्धान्त भणवारी आशा साधु ने हीज छै । पिण अनेरा गृहस्थ पासत्यादिक में सिद्धान्त भणवार आज्ञा श्री वीतराग नी न थी । डाहा हुवे तो विचारि जोई जो ।
इति १३ बोल सम्पूर्णा
इति सूत्र पठनाऽधिकारः