Book Title: Bhram Vidhvansanam
Author(s): Jayacharya
Publisher: Isarchand Bikaner

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Page 520
________________ कपाटाधिकारः । ४६३ काजे अनेक कपोल कल्पित कुयुक्ति लगावी नें साधु ने किमाड़ जड़वो तथा उघावो थापे ते महा मृषावादी अन्यायी अनन्त संसार रा बधावणहार जाणवा । डाहा हुवे तो विचारि जोइजो । इति ६ बोल सम्पूर्ण | इति कपाटाऽधिकारः । इति श्री जयगणि विरिचितं भ्रमविध्वंसनम् । समाप्त ।

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