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भ्रम विध्वंसनम्
भात पाणी थी पोष्यां धर्म क्यूं नहीं । इम कहै तेहनो उत्तर - सूत्रे करी लिखिये छै
तदा णं तरंचणं थूलग पाणातिवाय वेरमणस्स समणोवास ते पंच अइयारा पेयाला जाणियव्वा न समायरयव्वा, तंजहा बंधे, वहे छविच्छेए अतिभारे भत्त पाण वोच्छेत्ते
॥ ४५ ॥
( उपासक दशा अ० १ )
त० तिबारे पछे थू० स्थूल प्राणातिपात बेरमण प्रत रा प्रतीचार पे० पाताल ने विषे ले जाणेवाला है. किन्तु न० आदरवा है. बं० मारवा नी बुद्धि इं करी पशु आदि में गाढा बन्धने करे बांधे. मारे ४० अङ्गोपाङ्ग ने छे. अ० शक्ति उपराना ऊपरे भार झापे. आहार पाणी रो विच्छेद करे.
स० श्रावक ने पं० ५. योग्य नहीं तं ते कहे
व० गाढा प्रहारे करी भ० मारवा मी बुद्धि ई.
इहां मारवा ने अर्थे गाढे बंधन बाँधे तो अतीचार कह्यो । भनें थोड़े बंधन बाँधे तो अतीचार नहीं । पिण धर्म किम कहिये । मारवा ने अर्थे गाढ़े घाव घाले तो अतीचार अनें ताड़वा नी बुद्ध लकड़ी इत्यादिक थी थोड़ो घाव घाले तो अतिचार नहीं । परं धर्म किम कहिये । इम ही चामड़ी छेद कहिवो, इम मारवा
अर्थे अति ही भार घाल्यां अतीचार, अनं थोड़ो भार घाले ते अतीचार नहीं । परं धर्म किम कहिवे । तिम मारवा ने अर्थे भात पाणी रो विच्छेद पाड्यां तो अतिचार, अनें सजीव नें भात पाणी थी पोषे ते अतीचार नहीं । पिण धर्म किम कहिये । अनेरा संसार ना कार्य छै । तिम पोषणो पिण संसार नो कार्य छै पिण धर्म नहीं । जे पोष्यां धर्म कहे तेहने लेखे पाठे कह्या ते सर्व बोला में धर्म कहिणो । अनें पाछिला बोल ढीले बंधन बांध्यां ताड़वा ने अर्थे लकड़ियादिक थी कुट्यां धर्म नहीं । तिम भात पाणी थी पोष्यां पिण धर्म नहीं । वली आंगल को पारका व्याहव नाता जोड़ाया तो अतीचार. अनें घरका पुत्रादिक or carea कियां अतीचार नहीं लागे । पिण धर्म किम कहिये । वली प्रथम