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भ्रम विध्वंसनम् ।
नहीं। जे दया रे अर्थे पूंजणो राखणी कहै-त्यारे लेखे अढ़ाई द्वीप वारे श्रावका रे दया किम पले पिण ए पूंजणीयादिक राखे ते शरीर नी रक्षाने अर्थे छ। जे बिना पूंज्यां तो खणवारा त्याग अने माछरादिक रा फर्स खमणी न आवे तिणसू पूंजीने खणे छै। ए पंजे ते खाज खणवा सातारे अर्थे, जो पंजे इज नहीं तो दया तो घणी चोखी पले। ते किम माछरादिक उड़ावना पड़े नहीं। तेहना फर्स सह्यां कष्ट खम्यां घणी निर्जरा हुवे। परं दया तो उठे नहीं अनें एहवी शक्ति नहीं। ते माटे पूंजणी आदिक राखी खाज खर्ण छ। जिम किणही अछांण्यो पाणी पीवा रा त्याग कीधा-अने पाणी छाणे ते पीवा रे अर्थे, परं दयारे अर्थे छाणे नहीं। ते किम–बिना छांण्या तो पीवा रा त्याग अनें न छांणे तो पाणी पीणो नहीं। अपूठी दया तो चोखी पले पिण आप से पाणी पीधां बिना रहिणी न आवे। तिण सूं पीवा रे अर्थे छांणे ते धर्म नहीं। तिम सामायक में विना पूंज्यां खाज खणवारा त्याग अनें जो पूंजे नहीं तो खाज खणणी नहीं पड़े, एहवी शक्ति नहीं। तिणसू पूंजणी राखे छै । ए श्रावक रा उपधि सर्व अत्रत में छै। तिवारे कोई कहै–साधु पिण पूंजणी आदिक राखे छै। जो श्रावक ने धर्म नहीं तो साधु ने पिण धर्म नहीं। इम कहे तेहनों उत्तर–ए साधु पिण शरीर ने अर्थे राखे छै। ए तो वात सत्य छै पिण साधु रो शरीर छव ६ काय रो पीहर छै पिण शस्त्र नहीं ते माटे साधु रा उपधि अनें शरीर पिण धर्म में हेतु छै। ते माटे साधु उपधि राखे ते धर्म छै । अनें श्रावक रो शरीर छव ६ काय रो शस्त्र छै । ते माटे तेहना उपकरण पिण शरीर में अर्थ छै। ते भणी गृहस्थ उपकरण राखे ते सावध व्यापार छै। अनें साधु उपकरण राखे ते निरवद्य भला व्यापार छै । डाहा हुवे तो विचारि ज्ञोइज़ो।
इति ११ बोल सम्पूर्ण।
तिवारे कोई कहे ए श्रावक उपकरण राखे ते भला नहीं। अने साधु राखे ते भला व्यापार किहां कह्या छै ! तेहनो ऊत्तर । मूत्र करो कहिये छै।