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गुणवर्णनाऽधिकारः।
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___तथा गौतम रा गुण कह्या । तिहां एहवो पाठ छै ते लिखिये है।
तेणं कालेणं तेणं समयेणं समणस्स भगवो महावीरस्स जेटे अन्तेवासी इन्द्रभूती णाम अणगारे गोयम गोत्तेणं सत्तुस्सेहे सम चउरंस संठाण संठिए वजरिसह नाराय संघ यणे कणग पुलगणिघस पम्ह गोरे उग्गतवे. दित्ततवे. तत्ततवे. महातवे. घोरतवे. उराले. घोरे. घोरगुणे. घोर तवस्सी. घोर वंभचेरवासी. उच्छूट सरीरे ।
(भगवती श०१ उ०१)
ते. तिण काल. ते. तिण समय. स० श्रमण. भगवंत महावीर नो. जे० जेठो. अ. शिष्य. इ० इन्द्र भूति नाम. प्र. अनगार. गो० गोतम नी. स० सात हाथ प्रमाण उच्च. स० समचतुरस्र संठान. सं० सहित. ३० वजू ऋषम ना राज संघयणी. क० सुवर्ण. पु० कसौटी ने विषे. घिस्यो थको. तिण समान. प० पद्म गौर वर्ण. उ० तीव्र तप. दि० दीप्ततप. कर्मवन दहवा समर्थ. त० तप्या छ तप जेहनें. एहवा. म० महा तपवन्त छै। उ० उदार तपवन्त. घो० निर्दय (कर्म हणवा में ) घो० अनेरो भादरी न सके एहवा घोर गुणवन्त छै। घो० घोर ( तीब्र ) ब्रह्मचारी छै. उ० सुश्रूषा रहित जेहनों शरीर छै।
अथ अठे एतला गोतम ना गुण कह्या छै। अने गोतम में ४ कषाय ४ संज्ञा स्नेहादिक छै। तथा उपयोग चूके तिण रो पडिकमणो पिण करता पिण ते अवगुण इहां न कह्या। गौतम ना गुण वर्णव्या पिण इम न कह्यो. जे गौतम उपयोग ना चूकणहार सकषायी संज्ञा सहित प्रमादी इत्यादिक अवगुण हुन्ता। ते पिण न कह्या। स्तुति में निन्दा अयुक्त छै। ते माटे तिम गणधरां भगवान् रा गुण कह्या. त्यां गुणा में अवगुण न ही कह्या। जेतलो पाप नहीं कीधो तेहिज वखाण्यो छै। अने लब्धि फोड़ी तिण रो पाप लाग्यो छै। वली समय २ सात २ कर्म लागता हुन्ता ते पिण न कह्या, ते अवगुण छै ते माटे स्तुति में निन्दा न शोभे। अने केह एक पाषंडी कहे-गौतम ने भगवान् कह्यो। हे गोतम ! १२ वर्ष १३ पक्ष