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लैश्याऽधिकार।
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"सरागी वीतरागी पमत्ता पमत्ता न भाणियव्या' इतरो क्यूं कहे। वली साधी में कृष्ण नील लेश्या हुवे इज नहीं तो पहिला सरागी वीतरागी पछे प्रमादी अप्रमादी इम उलटा क्यूं कह्या। पिण संयती रा भेद आगे इमहिज किया हुन्ता। तिमहिज नाम लेइ इहां बर्यो छै। ते संयती रा भेद करवा वा छै । पिण संयती वयॊ नहीं। वली आगे कह्यो तेजू पन लेशी मनुष्य क्रिया में पूर्वे मनुष्य ओधिक कह्यो। तिम कहिवो। पिण सरागी वीतरागी न कहियो। इहां तेजू पद्म लेशी मनुष्य में पिण सरागी वीतरागी वा । ते पिण संयती रा २ भेद सरागी. वीतरागी पूर्वे कह्या तिम तेजू पद्म लेश्या संयती रा बे भेद न करवा। ते किमसरागी में तो नेजू पद्म हुवे। पिण वीतरागी में तेजू पद्म न हुवे। ते भणी तेजू. पद्म. लेशी संयती रा २ भेद वा। पिण संयती वन्यों नहीं मिल भ० श०१ उ०. ४१ कृष्ण नील कापोत लेशी संयती रा २ भेद प्रमादी. अप्रमादी. करना वा । पिण संयती वो नहीं । तिवारे कोई कहे कृष्ण. नील. कापोत, लेशी में प्रमादी. अप्रमादी बिहूं वा । तो साधु में कृष्णादिक ३ किम होवे । तिण ने इम कहिणोतेज :पद्म में पिण सरागी वीतरागी वा छै। जो तंजू. पद्म. लेश्यी साधु में सरागी वीतरागी क्यूं वा तो साधु में तेजू पद्म किम कहो छो। तुम्हारे लेखे तो सरागी में पिण तेजू पद्म नथी। अनें वीतरागी में पिण तेजू पद्म नथी। तिवारे साधु में पिण तेजू पद्म न कहिणी। तिवारे आगलो कह-संयती रा २ भेद कह्या । सरागी में तो तेजू पद्म होवे पिण वीतरागी में तेजू पद्म न होवे। तिण सं २ भेद करवा वा छै। इम कहे तो तिण ने इम कहिणो। तिम कृष्ण नील कापोत लेशी संयती रा पिण प्रमादी अप्रमादी बे भेद करवा वा। प्रमादी में तो कृष्णादिक ३ लेश्या हुधे। पिण अप्रमादी में न हुवे । तिण सूं बे भेद करवा वा । पिण संयती ने न वो। ए तो चौड़े साधु में कृष्णादिक लेश्या कही छै। तिवारे कोई कहे-ए तो कृष्णादिक ३ द्रव्य लेश्या छै। अनें भावे होय तो भावे कृष्णादिक में अणआरम्भी किम हुवे। तिण ने कहिणो ए द्रव्य लेश्या छै । तो ३ भली लेश्या विण द्रव्य हुवे। एहनें पिण आरम्भी कहा छै। ते भली भाव लेश्या में आरम्भी किम हुवे। एहनों पाठ छै । ___ "तेउलेस्सस्स पद्मले स्सस्स सुक्क लेस्सस्स जहां अोहिया जीवा णवरं सिद्धा ण भाणियबा"