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अथ विनयाऽधिकारः।
केई पाषंडो श्रावक रो सावध विनय कियां धर्म कहे छै। विनय मूल धर्म रो नाम लइ श्रावक री शुश्रूषो तथा विनय करवो थापे। अनें इम कहे-झातो सूत्र में २ प्रकार रो विनय मूल धर्म कयो। एक तो साधु नों विनय मूल धर्म. पोजो श्रावक नों विनय मूल धो. ए विहूं धर्म कह्या ते माटे साधु. श्रावक. बेहुनों विनय कियाँ धर्म छै इम कहे-त्यारे विनय मूल धर्म री योलखणा नहि, ते ज्ञाता सूत्र नो नाम लेइ में सावध विनय थापे तिहां एहयो पाठ छै । ते पाठ लिखिये छ।
. ततेणं थावचा पुत्ते सुदंसणेणं एवं वुत्ते समाणे, सुदंसणं एवं वयासी सुदंसणा विनय मूले धमे पराणते, सेविय विणए दुविहे पण्णत्ते तं जहा आगार विणएय. अणगार विणएय तत्थणं जे से आगार विरणए लेणं पंच अणुटबधाई सत्त सिक्खावयाइएकारस उवासग पडिमाओ तत्थणं जे से भागार विणए सेणं पंच महब्बयाई ।
(ज्ञाता १०५)
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त तिवार. था० थावचा पुत्र. . सुदर्शन. ए० एम कंह्या थकां. १० सुदर्शन ने. ए. एम. ५० बोल्या. सु० हे मुदर्शन. वि. विनय मूल धर्म कह्यो दै. से ते. विनय मूल धर्म दु.२ प्रकार नों कह्यो ? ते कहे है. भा. एक गृहस्थ नों विनय मूल धर्म. अ० बीजो साधु नो विनय मूल धर्म. त० तिहां जे. जे. मा० गृहस्थ्य नों विनय मूल धर्म. से ते. ५ अणुप्रत. स० लात शिक्षा व्रत. ए० ११. उ० श्रावक नो प्रतिमा गृहस्थ नों विनय मूल धर्म. ते तिहां जे. साधु मों विनय मूल धर्म. से० ते. पं० पांच महाबत रूप.