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भाश्रवाधिकारः।
उपभोग परिणामे. नाण परिणामे. दंसण परिणामे. चरित्त परिणामे वेद परिणामे ॥१६॥
दस विहे अजीव परिणामे प० त० बंधण परिणामे गइ परिणामे. संठाण परिणामे. भेद परिणामे. वन्न परिणामे. गंधफास परिणामे. अगरुय लहुय परिणामे. सद्द परिणामे. ॥१७॥
गणाजा . १२
६० देश प्रकारे जीव ना परिणाम परूप्या छै. से कहे छै. ग० गति परिणाम ते ४ गति. १० इन्द्रिय परिणाम ते ५ इन्द्रिय. क० कषाय परिणाम ते ४ कषाय. ले लेश्या परिणाम ते । लेण्या. जो० योग परिणाम ते योग ३ उ० उपयोग परिणाम ते उपयोग २ ना ज्ञान परिणाम ते ५. द. दर्शन ते ३. चरित्न परिणाम ते ५ वे वेद परिणाम ते ३ वेद ॥१६॥
६. दश प्रकारे. अ० अजीव परिणाम परूप्या. तं० ते कहे छै. वं० 'वंध परिणाम १. ग. गति परिणाम २. सं० संस्थान परिणाम ३. भे० भेद परिणाम ४ व० वर्ण परिणाम ५ २० रस परिणाम ६ गन्ध परिणाम ७ स्पर्श परिणाम. ८ अगुरु लघु परिणाम : शब्द परिणाम १०.
अथ इहां जीव परिणामी रा १० भेद कह्या-तिहां गति परिणामी रा ४ भेद नरक गति. तिर्यश्च गति. मनुष्य गति. देव गति. ए भाब गति जीव परिणामी छै । अमें नाम गति तथा कर्म नी ६३ प्रकृति में पिण गति कही ते द्रव्य गति छै। ते जीव परिणामी में नहीं। (१) इन्द्रिय परिणामी ते पिण भाव इन्द्रिय जीव परिणामी छै. द्रव्य इन्द्रिय जीव नहीं (२) कषाय परिणामी ते पिण भावे कषाय जीव परिणामी छै। द्रव्य कषाय मोहणी री प्रकृति ते तो अजीव छै। (३) लेश्या परिणामी ते पिण भाव लेश्या ते जीव रा परिणाम ते माटे जीव परिणामी छै। द्रव्य लेश्या ते तो अष्टस्पर्शी पुद्गल छै। (४) योग परिणामी ते भाब योग जीव ना परिणाम ते मारे जीव परिणामी छै। अने द्रव्य योग पुद्गल छै. जीव परिणामी नहीं (५) उपयोग ६ ज्ञान ७ दर्शन ८ चारित्र ए तो प्रत्यक्ष जीव ना परिणाम ते भणी जीव परिणामी छै। वेद परिणामी ते पिण भाव वेद