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लेश्याऽधिकार।
وه ره ي ميه ميه ميه ميه به بهره را به بي. مره ميه ميه ميه به يه بية دره ه ه ه ه ه و به بی۔
क० कृष्ण लेश्यावन्त. हे भगवन् ! ने० नारको. स० सवलाई. स० सरीखा अाहारवन्त छै सम शरीरवन्त छै. पूर्वली परे पृच्छा. गो० हे गौतम ! ज० जिम प्रोधिक कह्या. तिम कहिवा. ग. पिण एतलो विशेष. णे० नारकी. वे जे कृष्ण लेश्या नः वेदना में विषे केतला एक मायावन्त मिथ्यावृष्टि मरी ने नारकी पणे ऊपना छै. अनें केतला एक श्रमायी सम्यग्दृष्टि मरी में अपना है. ए वे भेद कहिवा मायो मिथ्यादृष्टि उपना छै ते अति दुष्टाध्यवसाय निर्वन्ध कर्म थको महा दुःख वेदनावन्त छः अमायी सम्यग्दृष्टि ऊपनो छ ते अल्पाध्यवसाय थको रूल्य दुःख वेदनावन्त छै. ए चे भेद कहिवा. पिण संज्ञो भूत असंज्ञी भूत न कहिवा. जे भणो तो प्रसयती प्रथम नरके ऊपजे छै कृष्ण लेश्यावन्त ५-६-७ नरके ऊपजे. ते माटे. से० शेष सर्व तिमज भोधिक नी परे. कहिवा. कृष्ण लेश्या ना अमरकुमार यावत. वा० वाणज्यन्तर एह सब तिम भोधिक पणे करा. तिमज कहिवा. ण. पिण एतलो. म. कृष्ण लेश्या ना मनुष्य में विशेषता छ. ते कहे छै. कृष्ण लेश्या ना मनुष्य सम्यग्दृष्टि ते त्रिण भेद कह्या छै. ते कहे है. संयती. असंयती. संयतासयतो। प्रोधिक नी परे ।
इहां पिण कृष्णलेशी मनुष्य रा ३ भेद कह्या छै। संयती. असंयती. संयतासंयती. ते न्याय पिणं संयती में कृष्णादिक हुये। इम संयती में कृष्णादिक लेश्या घेणे ठामे कही छै. अमें कोई कहे साधु रे माठी लेश्या आवैज नहीं। ते झूठ रा बोलणहार छै। अने साधु रे तो ठाम २ माठी लेश्या कर्मको भावती कहो छ। कदे साधु रे कर्म योगे अशुभ योग अशुभ ध्यान पिण आने । लिम कदे अशुभ लेश्या पिण आवे छै। भगवती श० ३ उ० ४-५ साधु अनेक प्रकार का रूप वैकिय करे ते विना आलोयां मरे तो विरावक कह्या । वैक्रिय करे छै, वली कर्मयोगे आहारिक तेजू लब्धि पिण फोडवे इत्यादिक अनेक सावध कार्य करें। तिवारे माठो लेश्या आवे छै। तेहनों प्रायश्चित आवे छै। :सीहो मुनि रोयो नांग पाडी. रहनेमि विषय परिणाम आणीं खोटो वचन वोल्यो. अइमुत्ते मुनि पाणी में पानी तराई. धर्म घोष रा साधां नागश्री ने बाजार में हेली निन्दो.. भगवान् लब्धि फोड़ी. गौतम वचन में खलाया. इत्यादिक कार्य में साम्प्रत माठी लेश्या छै। तिवारे प्रायश्चित्त लेये छै। जो भली लेश्या हुवे तो प्रायश्चित्त क्यू लेवे। माठा