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भ्रम विध्वंसनम् ।
मु० मुंज नी डोरी करी. क० लकड़ादिक नी डोरी करो. च० चमडेरी डोरी करी नें. वे० वेतनी छालनी डोरी करी. २० रासडी ने पासे करी. सू० सूत ने पासे करी. ० वांधता ने सा० अनुमोदे. जे० जे कोई. भि० साधु साध्वी. व जीव ने मु= म्रुके. मुः मूकता ने अनुमोदे। तो चौमासी प्रायश्चित
एतले पासे करी नं. वं बांधेएतले पासे करी बांध्या स
तिण सूं प्रायश्चित्त को
छ
गृहस्थ करतो हुवे. तिग
अने निरवद्य अनुकम्पा
हिंसा मूंठ चोरी परिग्रह रा
अथ इहाँ को "कोलुण पडियाए” कहितां अनुकम्पा निमित्ते तस जीव बांधे बांधता में अनुमोदे भलो जाणे तो चौमासी दंड कह्यो । अनें बांध्या जीव ने छोड़े छोड़ता ने अनुमोदे भलो जाणे तो पिण चौमासी दंड कह्यो । बांधे छोड़े तिण नें सरोखो प्रायश्चित को छै । अनें बाँध्या जीव छोड़ता में भलो जाण्यां ई चौमास प्रायश्चित आवे, तो जे पुण्य कहे- तिण भलो जायो के न जाण्यो । तो साम्प्रत आज्ञा बाहिर ली सावद्य अनुकम्पा है । 1 ए साधु अनुकम्पा करे तो दंड कह्यो । अनें कोई साधु अनुमोदे भलो जाणे तो पिण दंड आवे छे। तो दंड नहीं । जे गृहस्थ सामायक पोषा करे. त्याग करे, निरवद्य कार्य छै । पहनी साधु अनुमोदना करे छै । आज्ञा पिण देवे छे। अने जोवां ने बांधे छोड़े ते अनुकम्पा सावध है । तिण लूं साधु ने अनुमोद्यां दंड आवे है । जेतला २ निरवद्य कार्य, तिण री अनुमोदना कियां धर्म हैं परं दंड नहीं । अने जेतला २ सावय कार्य छै तेहनी अनुमोदना कियां दंड छै पिण धर्म नहीं । ते माये असंयती रो जीवणो वांछे ते सावध अनुकम्पा छे. तिण में धर्म नहीं । इहां केतला एक अभिग्रहिक मिथ्यात्व नाणी अयुक्ति लगाव इम करे । एतो तस जीव ने साधु बाँधे तथा छोड़े तो दंड । अनें साधु बांधतो छोड़ो हुवे तिण नें अनुमोद्यां दंड आवे | पिण कोई गृहस्थ बंधन छोड़तो हुवे तिण ने अनुमोद्यां दंड नहीं. तिण में तो धर्म है इम कहे । तेहनो उत्तर- ए. तो त्रस जोव बांध्यां तथा छोड्यां साधु नें तो पहिलां इज दंड कह्यो । ते माठे साधु तो पोते बांधे तथा छोड़े इज नहीं । अनें जे बस जीव नें बांधे छोडे ते साधु नहीं । वीतराग नी आज्ञा लोपी वंधण छोड़े तिण नें साधु न कहिणो । ते असाधु छै, गृहस्थ तुल्य छे। अने गृहस्थ बंध्या जीव में छोडे तेहनें अनुमोद्यां दंड छै । I जे कहे साधु वंधण छोड़े तिण नें अनुमोदणो नहीं, अने गृहस्थ छोडे तो अनुमोदणो, इम कहे तिण रे लेखे घगा वोल इमहिज कहिणा पड़सी क्षिण वार में १२ उये इज इम को छै । ते पाठ लिखिये है।
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