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भ्रम विध्वंसनम् ।
कम्पाना कार्य सावद्य छै, तो ते तेजु लब्धि फोड़ी ते माटे ए अनुकम्पा पिण सावद्य छै । सर्व कार्य सावद्य छे ते माटे । ए कार्य नो मनमें उपनी हियों कम्पायमान हुयो ते माटे ए अनुकम्पा पिण सावद्य छै । इहाँ अनुकम्पा अने कार्य संलग्न छै 1 जे कृष्णजी ईंट उपाडी ते अनुकम्पा ने अर्थे "अणुकम्पणट्टयाए" एहवूं पाठ कह्यो. ते अनुकम्पा ने अर्थे ईट उपाड़ी सूकी इम. ते माटे ए कार्य थी अनुकम्पा संलग्न छै । ए कार्य रूप अनुकम्पा सावध छै । इम हरिण गमेषी तथा धारणी अनुकम्पा कीधी तिहां पिण " अणुकम्पणट्टयाए" पाठ कह्यो । ते माटे ते अनुकम्पा पण सावय है । जिम भगवती श० ७ उ० २ कह्यो । “जीवदव्वट्टयाए सासए भावट्टयाए असासए' जीव द्रव्यार्थे सासतो भावार्थे असासतो कह्यो । तो द्रव्य भाव जीव थी न्यारा नहीं । तिम कृष्ण आदि जे सावद्य कार्य किया ते तो अनुकम्पा अर्थे किया ते माटे ए कार्य थी अनुकम्पा न्यारी न गिणवी | ए कार्य सावधति अनुकम्पा पिण सावद्य छै । तिम भगवान् पिण अनुकम्पा ने अर्थे तेजू लब्धि फोड़ी. ते माटे ते अनुकम्पा पिण सावध छै । तेजू लब्धि फोड़वा री केवली री आज्ञा नहीं छै । ते भणी भगवन्त छद्मस्थ पणे तेजू लब्धि फोड़ी तिण में धर्म नहीं । वैयिक लब्धि. आहारिक लब्धि. तेजू लब्धि. जंघाचरण. विद्या चरण. पुलाक. इत्यादिक ए लब्धि फोड़वा नी तो सूत्र में वर्जी छै । गौतमादिक साधुरा गुण आया त्यां एहवो पाठ छै । “संखित्त विउल तेय लेस्से" संक्षेपी छै विस्तीर्ण तेजू लेश्या, इहां तेजू लेश्या संकोची ते गुण कह्यो । पिण तेजू लेश्या फोड़े ते गुण न कह्यो, तो भगवन्ते तेजू लेश्या फोड़ी गोशाला नें बचायो तिण में धर्म किम कहिये । तिवारे कोई कहे - भगवान् तो शीतल लेश्या मूकी पिण तेजू लेश्या न मूकी तेजू लेश्या तो तापस गोशाला ऊपर मूकी तिवारे भगवान् शीतल लेश्या फोड नें गोशाला ने बचायो । पिण तेजू लेश्या भगवान् फोड़ी नहीं इम कहे तेहनो उत्तर- जे शीतल लेश्या ने तेजू लेश्या न श्रद्ध े ते तो सिद्धान्त रा अजाण है। ए शीतल लेश्या तो तेजू नों इज भेद छै । जे तपस्वी मेली ते तो उष्ण तेजू लेश्या अनें भगवान् मेली ते शीतल तेजू लेश्या एहवूं कह्यो छै । ते पाठ लिखिये छै ।
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तर अहं गोयमा । गोशालस्स मंखलि पुत्तस्स कंपाए वेसियायणस्स बाल तवस्सिस्स सा उसि