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भ्रम विध्वलनम्।
दे ते भय दान । ( ३ । का० शोक ते पुत्र वियोगादिक जे दान ए म्हारू पागल सुखी थाये ते माटे रक्षा निमित्त दान आपे तथा मुत्रा में केडे वारादिक नो करचो। (४। लजा ए करी जे दान दीजै ते लज्जा दान। (५) गा० गर्वे करी खर्चे ते गर्व दान ते नाटकिया मलादिक ने तथा विवाहादिक यश ने अर्थे । (६) अ० अधर्म पोषणहारो जे दान ते अधर्म दान गणिकादिक मूं। (७) ध० धर्म नों कारण ते धर्म दान इज कहिये ते सुपात्र दान। (८) का० र मुझ ने काई उपकार करस्ये एहवू जे दे ते काहि दान। क० इणे मुझ ने घणी वार उपकार कीधो है पिण उसींगल थायवाने काजे कांइ एक प्राइम जे देइ ते कतन्ती दान । ( १० ।
अथ इहां १० प्रकार रा दान कह्या तिण में धर्म दान री आज्ञा छै। ते निरवदय छै बीजा नय दानां री आज्ञा न देवे। ते माटे साबदय छै असंयती ने असूझता अशनादिक ४ दीधां एकान्त पाप भगवती श० ८ उ० ६ कह्यो। ते माटे ए नव दानां में धर्म-पुणध-मिश्र नहीं छै। कोई कहे एक धर्म दान एक अधर्मदान बीजां आठौं में मिश्र छै। केइ एकलो पुणय छै इम कहे, एहनो उत्तर-जो वेश्या. दिक नो दान अधर्म में थापे विषय गे दोष बताय में। तो बीजा आठ पिण विषय में इज छै। भय रो घालियो देवे ते पिण आप री विषय कुशल राखवा देवे छै। मुआ केडे खर्चादिक करे ए म्हारो पुत्र आगले भवे सुखी थायस्ये इम जाणी आरम्भ करे ते पिण विषय में छै। गर्वदान ते अहंकार थी खर्चे मुकलावो पहिरावणी आदि ए पिण विषय में इज छै। नेहतादिक घाले ए मुझ ने पाछो देस्ये ए पिण विषय में छै। बाकी रा ४ दान पिण इमज कोई आप रे विषय ने काजे कोई पारकी विषय सेवा में देवे-ए नव हीदान बीतराग नीआज्ञा में नहीं बारे छ । लेणवाला अब्रत में लेवे तो देणवाला ने निर्जरा पुणय किहां थकी होसी। ठाणाङ्ग ठाणा ४ उ० ४ च्यार विसामा कहा। प्रथम विसामो श्रावक ना व्रत आदखा। ते, वीजो सामायक देशावगासी तीजो पोषो चौथो संथारो सावदय रूप भार छोड्यो ते विसामो ( विश्राम ) तो ए : दान चार विसामा बाहिर छै। धर्मदान विसामा माहि छै। ए न्याय तो चतुर हुवे तो ओलखे । डाहा हुवे तो विचारि जोइजो।
इति १६ बोल सम्पूर्ण।