________________
का पता विभीषण को लगा तो उसने श्री रामचन्द्र जी से कहा, "रावण इस समय जिनेन्द्र भगवान् की पूजा में लीन है और उसने अपने योद्धाओं को शत्रुओं पर भी शस्त्र उठाने से बन्द कर रक्खा है । इस लिए रावण पर आक्रमण करने का यह बड़ा उचित अवसर है" "" । श्री रामचन्द्र जी ने कहा, "विभीषण यह सत्य है कि रावण हमारा शत्रु है, उसने हमारी सीता को चुराया और हमारे भ्राता लक्ष्मण को मूर्छित किया । उसका वश करना हमारा कर्तव्य है, परन्तु इस समय वह जिनेन्द्र भगवान् की भक्ति में मग्न है, है, मैं कदाचित् उस के जिनेन्द्र भक्ति जैसे महान उत्तम और पवित्र कार्य में बाधा न डालूँगा' ।
कुलभूषण और देशभूषण नाम के दो दिगम्बर मुनियों के तप में उनके पिछले जन्म के बैरी राक्षस बाधा डाल रहे थे, श्री रामचंद्र जी को पता चला तो वे धनुष उठा कर श्री लक्ष्मण सहित स्वयं वहां गये और दोनों जैन साधुओं का उपसर्ग दूर किया, उपसर्ग दूर होते ही उनको केवल ज्ञान प्राप्त होगया और वे जिनेन्द्र होगये ।
श्री रामचन्द जी की जिनेन्द्र-भक्ति न केवल जैन ग्रन्थों में पाई जाती है बल्कि स्वयं हिन्दू ग्रन्थ भी स्वीकार करते हैं कि
- When Bhibhiksana learned through spies what Ravanna was doing, he hastened to Rama and urged him to attack and Slay Ravana before he could fortify himself with his new and formidable power. But Rama
replied:
"Ravana has sought Jinendra's aid
In true religious form.
It is not meet that we should fight
With one engaged in holy rite."
—Prof.S.R, Sharma: Jainism & Karnataka Culture. P. 78.
५२ ]
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com