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प्रश्नों के उत्तर उत्पाद, व्यय और प्रौव्य युक्त है । ससार मे कोई भी द्रव्य (पदार्थ) ऐसा नही है कि जो एकान्त नित्य या एकान्त अनित्य हो । जहां नित्यता की प्रतीति होती है वहा अनित्यता की अनुभूति भी अवश्य होती है और जहां अनित्यता दिखाई देती है वहां नित्यता का भी अस्तित्व स्पष्ट परिलक्षित होता है । दोनो अवस्थाएँ सापेक्ष हैं। एक अनुभव में दूसरे अनुभव की प्रतीति अवश्य होती है। जव किसी द्रव्य मे नित्यता की प्रतीति होती है तो उसी क्षण उसी पदार्थ मे अनेक तरह की अनित्यता का भी अनुभव होता है। इसी तरह जव अनित्यता की प्रतीति होती है तब उसी समय उस पदार्थ मे नित्यता की अनुभूति भी होती है। यही वस्तु की अनेकरूपता है । इसी अपेक्षा को ध्यान मे रखकर द्रव्य पदार्थ को उत्पाद, व्यय और प्रौव्य युक्त कहा है। जैसे स्वर्ण का ककण बनाया और उस ककण को तोड़ कर बटन बनाए। इस तरह हम देखते हैं कि स्वर्ण की डली रूप का नाश हुआ
और ककण रूप का उत्पादन हुआ तथा फिर ककण रूप नाश और बटन रूप का उत्पाद हुआ। इस प्रकार आकार-प्रकार बदलता रहा परन्तु उन सभी बदलने वाले आकारो मे स्वर्ण का स्वर्णत्व कायम रहा, उसका नाग नही हुआ । अत. हम कह सकते हैं कि द्रव्य (स्वर्णत्व) की अपेक्षा से सोना नित्य है और कंकण आदि पर्यायो की अपेक्षा से अनित्य । इसी तरह संसार का प्रत्येक द्रव्य द्रव्यत्व रूप से नित्य है और पर्याय रूप से अनित्य । प्रत्येक द्रव्य की पुरातन पर्यायो का नाश होता है और नई पर्यायो का उत्पाद होता है और इस परिवर्तन की स्थिति मे भी द्रव्य का नाश नही होता, उसका अपना स्वरूप सदा स्थित रहता है । अत. प्रत्येक द्रव्य नित्यानित्य है। कोई भी द्रव्य न एकान्त नित्य है और न एकान्त अनित्यं ।