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तृतीय अध्याय
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४ संसार का सब से छोटा रेडियो सेट- यह रेडियो सैट माचिस की डिबिया जितना छोटा होता है और हिन्दुस्तान के सब स्टेशन सुनाता है ।
५ जीवित मनुष्य का रेडियो- मनुष्य को एक विशेष प्रकार का मिक्चर पिलाकर उसके शरीर मे से हो रेडियो का कार्यक्रम सुना जाता है ।
देख सकते है ।
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६ टेलीविजन - इसके द्वारा हम अपने घर मे विजिन पर होने वाले प्रोग्रामो को भी ग्राखो से ७ विजली का वल्व - यह वल्व मनुष्य के आदेश पर प्रकाश देना शुरु कर देता है और बुझने की आज्ञा मिलते ही बुझ जाता है । इसके अतिरिक्त अन्य भी ऐसी अनेक वस्तुए हैं, जिनको देखकर परमाणु शक्ति की विलक्षणता का बोध होता है । वस्तुत परमाणु शक्ति भी विचित्र है । जिसे देख-सुन कर मनुष्य आश्चर्यान्वित हो उठता है। जैन दर्शन का कर्मवाद परमाणुवाद का ही रूपान्तर है । जब विना चेतना के ही परमाणु अनेक ग्राश्चर्यकारी दृश्य उपस्थित कर देते है, तब चेतना शक्ति का सान्निध्य पाकर ये कर्म विभिन्न दृश्य दिखला दे, तो इसमे आश्चर्य की क्या बात है ?
इस तरह कर्म वन्धते और फल देते हैं । जैन दर्शन की मान्यता
शराव आदि नशीले व्यक्ति नशे का सेवन
बैठकर टेली
है कि कर्मो मे ही फल देने की शक्ति है । जैसे पदार्थो मे उन्मत्त बनाने की शक्ति है अथवा जो करता है, वह अवश्य उसकी लहरो झूलता है, उसका नशा देने के लिए किसी ईश्वर को भागकर आने की जरूरत नही होती । उसी तरह कर्म मे ही फल प्रदान करने की शक्ति है । प्रत्येक कर्म का जिंतना प्रबाधाकाल है, उसके बाद वह कर्म उदय मे आता है और
अपना