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प्रश्नों के उत्तर
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मे बनाया? कुभकार जैसे माटी से घट बनाता है, वैसे ससार रूप घट को बनाने के लिए किस माटी का प्रयोग किया और वह माटी कहा से आई ? इसके अलावा, ईश्वर के बनाएं प्राणियो मे भिन्नता क्यों मिलती है ? सभी एक जैसे होने चाहिए थे। कोई लूला, कोई लगड़ा, कोई अन्धा, कोई काना, कोई राजा,कोई रक, कोई विद्वान और कोई मूर्ख, ऐसा क्यो है ? समभावी ईश्वर की रचना मे यह विविधता और विषमता क्यो है ? कहा जाता है कि इस विविधता और विषमता का कारण ईश्वर नही है, जोवो के अपने शुभाशुभ कर्म हैं । ऐसा कहना तर्क सगत प्रतीत नही होता। क्योकि जग-निर्माण से पूर्व कर्म करने वाला था कौन ? कर्ता के विना तो कर्म की मृष्टि हो ही नही सकती? यदि कहा जाए कि बाद मे कर्मगत विविधता हो गई तो हम कहते है कि.ईश्वर ने ऐसे व्यक्तियो की रचना क्यो की, जो कुकर्म करे । पहले सोच समझ कर उनको बनाना चाहिए था। इस तरह के अन्य भी अनेको प्रश्न है, जिनका कोई समाधान नही मिलता है.। अत यही समझना चाहिए कि ईश्वर ने ससार को नही बनाया है । जो पदार्थ वनाए जाते है उनका निर्माता प्रत्यक्ष रूप से देखा जाता है,सुना जाता है, और समझा जा सकता है, पर ससार का रचयिता न देखा गया है, न सुना गया है और वह किसी हेतु से सिद्ध किया जा सकता है । प्रश्न- कहा जाता है कि ईश्वर की इच्छा विना कुछ नहीं होता। संसार का प्रत्येक कार्य ईश्वर की प्रेरणा से होता है । क्या ऐसा कहना सत्य है ? उत्तर- बिल्कुल नहीं। ससार के किसी कार्य मे ईश्वर का कोई हस्तक्षेप नही है। ईश्वर ससारके कार्यों में किसी भी प्रकार का कोई दखल नहीं देता। यदि ससार के सभी कार्य ईश्वर की प्रेरणा से होते मान