________________
प्रश्नी के उत्तर
२८४
से ईश्वर एक है, क्योंकि सभी ईश्वरों में ईश्वरत्व बराबर रहता है, सभी सच्चिदानन्दमय हैं, सभी मे ज्ञान और प्रानन्द की अनन्तता विराजमान है । कोई किसी से ज्ञानादि गुणी में हीन नही है | और सभी ईश्वर व्यक्तियों पर ईश्वर यह एक शब्द लागू होता है । ग्रतः ईश्वर एक है, किन्तु व्यक्तियो की अपेक्षा ईश्वर अनेक हैं, अनन्त है । जो भी जीव कर्मवन्धन से मुक्त हो गए जैन दर्शन की दृष्टि से वे सब ईश्वर ही है । इसलिए ईश्वर एक न होकर अनेक हैं, अनन्त है ।
>
जैनदर्शन का विश्वास है कि प्रत्येक भव्य आत्मा मे परमात्मा बनने की योग्यता निवास करतो है, मोक्षमार्ग पर चलने वाला प्रत्येक आत्मा धीरे-धीरे मोक्ष को प्राप्त कर लेता है । ९ ज्ञान, दर्शन और चारित्र ये तीनों मोक्ष के मार्ग हैं। इन मार्गो के राही के लिए मोक्ष दूर नही है । इन मार्गो का राही अमुक व्यक्ति बन सकता है, ग्रमुक नहीं, ऐसा कोई प्रतिवन्ध नही है । जैन दर्शन ने प्रत्येक सम्यग्दृष्टि व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार खोल रखे हैं । इसीलिए जैन दर्शन कहता है कि मुक्त जीव एक नही, अनेक है, असस्य हैं, अनन्त हैं ।
◄
r.
11/NNNN
+
९ जीव अजीव यादि तत्त्वो का यथार्थ वोध प्राप्त करना ज्ञान है, उक्त
•
तत्वों के प्रति सच्चा श्रद्धान रखना दर्शन और अहिंसा, संयम, तप को जीवनागी बनाना, आत्मा को निजस्वरूप में लाने के लिए सत्प्रयत्न करना चारित्र कहलाता है ।