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जैन-धर्म और बौद्ध-धर्म
अष्टम अध्याय प्रश्न- जैनधर्म और बौद्धधर्म दोनों समकालीन धर्म है या उभय धर्मों में काल की अपेक्षा कुछ भेद है ? यदि भेद है, तो दोनों में प्राचीन कौन है ? उत्तर- इस बात को हम 'जैनधर्म का अनादित्व' अध्याय मे विस्तार से बता चुके हैं कि जैन धर्म वौद्ध धर्म से बहुत प्राचीन है । इतिहास एव दर्शन-शास्त्र के अन्वेषक डॉ. जेकोबी भी इस सबध मे स्पष्ट । शब्दो मे लिखते है- "निर्ग्रन्थो का उल्लेख बौद्धो ने अनेक वार किया है, यहा तक कि पिटको के प्राचीनतम भाग मे जनो का उल्लेख मिलता है। परन्तु वौद्धो के विषय मे स्पष्ट उल्लेख अभी तक तो प्राचोनतम जैन सूत्रो मे कही भी मेरे देखने मे नही आया है, जबकि उनमे जमाली, गौशाला और अन्य पाखडी धर्माचार्यों के विषय मे लम्वेलम्वे कथानक मिलते हैं। चूंकि बाद के समय मे दोनो धर्मों का पारस्परिक सवध जैसा हो गया था, उससे यह स्थिति एकदम विपरीत है। क्योकि दोनो धर्मों के समकालिक प्रारम्भ की हम लोगो की कल्पना के भी यह प्रतिकूल है । इसलिए हम इस निष्कर्ष पर पहुचने को बाध्य होते हैं कि निर्ग्रन्थ धर्म वृद्ध के समय मे नया पैदा नही हुआ था । पिटकों का भी मत यही मालूम होता है । क्योकि उनमे कही भो वि