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प्रश्नों के उत्तर , ........ ...२१४ -rrr - - रहा है।
भगवान ऋषभदेव वर्तमान काल के प्रथम तीर्थंकर हैं। विष्णु पुराण में भी ऋषभदेव के जीवन का उल्लेख किया गया है। उस मे लिखा है कि 'नाभिराज की महारानी मरुदेवी की कुक्षि से महामना ऋषभदेव पुत्र रूप में जन्मे। उनके सौ पुत्र थे, जिनमे भरत सबसे ज्येष्ठ पुत्र था। न्याय और बुद्धि पूर्वक राज्य करने के पश्चात् ऋपभदेव ने पृथ्वी का राज्य भरत को दे दिया था, आदि।
वैदिक परपरा द्वारा मान्य प्राचीन ग्रंथ श्री भागवत पुराण में भगवान ऋषभदेव के जीवन का विस्तार से वर्णन मिलता है। उसमे लिखा है कि ऋषभदेव अर्हन का अवतार रजोगुण. युक्त मनुष्यों को मोक्ष मार्ग दिखाने के लिए हुआ है । - । - -
भागवत पुराण मे जिस ऋषभदेव का वर्णन मिलता है, वह जनों के ऋषभदेव के अतिरिक्त और कोई नहीं है । विल्सन ने विष्णु पुराण में भागवत पुराण की टिप्पण देते हुए लिखा है-"उसमें ऋपभदेव की तपस्या का विस्तार से वर्णन दिया गया है । इतना ही नहीं, बल्कि अन्य किसी पुराण मे उपलब्ध नहीं हाने वाली वाते भो उसमे विशिष्ठ रूप से वर्णित है। इसमे ऋषभदेव के विहार-भ्रमण के दृश्यो का . विष्णु पुराण और भागवत पुराण आदि वैदिक साहित्य के इन सब उल्लेखो से हम (डॉ याकोबी) इस निर्णय पर पहुंचते हैं कि जनो की कथा में कुछ ऐतिहासिकता है,जो ऋषभदेव को जैनो का पहला तीर्थंकर मानती है । -
-इण्डि. एण्टी ,(डा. याकोबी) पृष्ठ १६३ । ६ विष्णु पुराण (विल्सन)पृष्ठ १६३। . . . . . ६ अयमवतारो रजसोपष्लुतकैवल्योपशिक्षणार्थः । .... .
-भाग० स्कष ५, अन्याय ६ ।