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प्रश्नों के उत्तर mmmmmmmrrrrrrrm wwwww नहीं रहता, तव आत्मा के साथ संबद्ध कर्म अपना प्रभाव दिखाए विना कैसे रहेगे। . . .
___.परमाणुओं का वैचित्र्य .
जैनों का कर्मवाद का सिद्धात केवल तर्क या.कल्पना के आधार पर नहीं रचा गया है। सर्वज्ञों द्वारा जैसा देखा गया है,उसी रूप मे उस का विवेचन किया गया है। अत उसमे सन्देह को जरा भी स्थान नही है। परमाणुओं की विलक्षणता तो आज के युग में स्पष्ट हो गई है। इन पंक्तियो के लेखक का चातुर्मास जैनधर्म दिवाकर प्राचार्य-सम्राट पूज्य गुरुदेव श्री आत्मा राम जी महाराज के चरणो मे लुधियाना था। उन दिनो श्री हसराज जी वायरलैस लुधियाना आएं थे। उन्होंने अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा के अनेको वैज्ञानिक चमत्कार दिखलाए थे। परमाणुओं मे कितना विलक्षण आर्कषण है? ये किस तरह काम करते है ? और कैसे असभावित दृश्यो को प्रस्तुत कर देते हैं ?, यह सब कुछ - उन्होने अपनी विनान कला प्रदर्शनी में दिखलाया था 1 परिचय के लिए चन्द चमत्कारो का निर्देश निम्न पक्तियो मे कर रहे हैं
१ आवाज पर चलने वाला पंखा- यह पंखा आदमी की भाति अाज्ञा मानता है । 'चलो' का आदेश पाते ही चल पड़ता है और 'ठहरों' की आज्ञा मिलते ही रुक जाता है।
२ अद्भुत नल- यह नल आदमी के सन्मुख आते ही पानी ।। गिराने लगता है और आदमी के पीछे हट जाने पर अपने आप पानी गिराना बंद कर देता है।
३ चोर को पकड़ने वाली मशीन- यह एक ऐसा यंत्र है कि चोर के घर में प्रविष्ट होते ही चोर-चोर पुकारती है और अलारम वजाती है।