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१२५ ...........द्वितीय अध्याय निक वैज्ञानिको ने भी अणु-परमाणु (Atom)को खोज निकाला है,फिर भी जैनो के परमाणु और वैज्ञानिको के Atom मे काफी अन्तर है। जैनो की दृष्टि से परमाणु अविभाज्य अश है अर्थात उसके दो टुकडे नहीं किए जा सकते,यहा तक कि जिसके दो भागो की कल्पना भी न की जा सके । जिसका वह स्वय ही आदि है, वही मध्य है और वही अन्त है अथवा जिसका आदि, मध्य और अन्त एक ही है, वह परमाणु है ।* परन्तु वैज्ञानिको के Atom का ऐसा स्वरूप नही है। विज्ञान वेत्तानो ने Atom के इलैक्ट्रोन,प्रोट्रोन और न्यूट्रोन आदि भेद माने है अर्थात् वैज्ञानिको ने Atom को कई भागो मे वॉट दिया है । अत वैज्ञानिको का Atom जैनो द्वारा मान्य परमाणु नही, प्रत्युत परमाणो का समह है। .
पुद्गल द्रव्य के स्कन्ध, स्कन्द देश, स्कन्ध प्रदेश और परमाणु ये चार भेद होते है, अनन्तानन्त परमाणुमो के मिलने से स्कन्ध बनता है,स्कन्ध के अर्ध भाग को स्कन्ध देश और उसके भी आधे हिस्से को स्कन्ध प्रदेश कहते है । परमाणु सबसे छोटा हिस्सा होता है। उसका-विभाग नही होता है । ग्रीक के दार्शनिक जेनो ने यह स्वीकार नही किया कि पुद्गल का भी अन्तिम भाग अणु हो सकता है। उसने यह तर्क दिया कि आप पुद्गल का चाहे जितना छोटा विभाग * अन्तादि अन्तमज्झ, अन्तान्त व इन्दिए गेज्म । ज दन्व अविभागी, त परमाणु विजाणीहि।। .
-तत्त्वार्थ राजवार्तिक ५/२५,१,१ । खवा य खवदेसा य, तप्पएसा तहेव य । परमाणुणो य वोधव्वा, रुविणो य चविहा।।
. . -उत्तराभ्ययन मूत्र, ३६, ५०.