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....... ... ..... प्रश्नो के उत्तर ................. १९०
आत्मा और कर्म का संबंध प्रश्न- कर्म बंध की बात तो स्पष्ट हो गई। परन्तु यह समझ में नहीं पाया कि कर्म आत्मा पर कैसे छा जाते हैं ? क्योंकि
आत्मा अमृत है और कर्म मूर्त । ऐसी स्थिति में दोनों का संबंध कैसे हा ? मृत ने अमूर्त को कैसे प्रावत कर लिया ? . उत्तर- भारतीय चिन्तनधारा के सभी विचारको ने बाकाग को अमूर्त माना है और घट-पट आदि पदार्थों को मूर्त स्वीकार किया है।
और इस बात को हम सदा प्रत्यक्ष देखते है कि घट-पट आदि मूर्त पदार्थों का अमूर्त आकाश के साथ सवध जुड़ा हुआ है। वे जितने आकाग प्रदेश मे स्थित होते है,उतने आकाग प्रदेशो को आवृत कर लेते हैं । एक और भी उदाहरण है-जव.अधेरी चलती है तो आकाश पर घल छा जाती है, चारो तरफ धुंधलापन हो जाता है । तो ये घट-पट' एव धूली कण आदि सभी पदार्थ मूर्त हैं, फिर भी इनका अमूर्त आकाग के साथ सबध होता है और ये अमूर्त आकाश को प्रच्छन्न कर लेते है। इस तरह मूर्त कर्म भी आत्मा के साथ सवद्ध होने पर आत्म गुणो को प्रच्छन्न कर लेता है। प्रश्न- मृत पदार्थों का अमूर्त के साथ संबन्ध होता है, यह ठीक है। परन्तु अमूर्त पदार्थ पर मर्त पदार्थ का कोई असर तो होता नहीं। जैसे वायु और अग्नि आकाश में स्थित रहते हैं, फिर भी आकाश पर उनका कोई असर नहीं होता है । तो फिर अमूर्त आत्मा को मूर्त कर्म कैसे प्रभावित कर सकता है ? उत्तर- अग्नि का पदार्थो पर दो तरह से प्रभाव पड़ता है। एक तो यह