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प्रश्नो के. उत्तर
ma........२०.. बदला जा सकता है। जव वायु मे वर्ण-रूप. सिद्ध हो गया तो गन्ध और रस तो स्वत. सिद्ध हो जाते है। इस प्रकार जैसे वायु मे चारो गुण पाए जाते हैं, वैसे अप् और तेज मे भी चारो ही गुण पाए जाते है। इसे स्पष्ट करने की अवश्यकता नही है।
वैशेपिक दर्शन जैसे पृथ्व्यादि द्रव्यो मे भिन्न गुण स्वीकार करता है, वैसे ही वह उन विभिन्न द्रव्यो मे भिन्न परमाणु के अस्तित्व को भी मानता है। पृथ्वी के परमाणु अलग है, पानी के परमाणु अलग है, इसी तरह अन्य सभी द्रव्यो के परमाणु अलग है और वे परमाणु एकदूसरे द्रव्य के परमाणुओ से भिन्न है। यह उनका परमाणु नित्यवाद है । उनकी मान्यता है कि सभी द्रव्यो के परमाणु नित्य होते है, उनके कार्य मे परिवर्तन होता रहता है, किन्तु उन परमाणुओं मे परिवर्तन नहीं होता। परन्तु यह मानना युक्तिसगत नहीं है। क्योकि यह देखा जाता है कि एक द्रव्य के परमाणु दूसरे द्रव्य के परमाणुग्रो के रूप मे वदल जाते है। आक्सीजन और हाईड्रोजन दो गैसो का समिश्रण होता है या किया जाता है, तो दो गैसो के रूप मे स्थित, वायु के परमाणु पानी के रूप में परिवर्तित हो जाते है । अस्तु जैन दर्शन द्रव्यो के भिन्नभिन्न परमाणुगो को नहीं मानता है । और आज का विज्ञान भी इस बात को मानता है कि एक द्रव्य के परमाणु दूसरे द्रव्य के परमाणुप्रो के रूप में परिवर्तित होते, है या किए जा सकते है । ग्रीक दार्गनिक ल्युसिपस और डेमोक्रेट्स भी परमाणुरो के भेद को नही मानते है । वह
§ Air can be converted bluish liquid by continuous cooling, just as steam can be converted into water.
-जैन दर्शन (मोहन लाल मेहता) पृ. १८२