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प्रश्नो के उत्तर -rrrrrrrrrrrrrrrrrr:
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न होने पर भी. परमाणु अरूपी नही है । क्योकि उसका स्कन्धादि ल्प कार्य मूर्त है। जो अरूपी तत्त्व होता है, उसका कार्य भी अरूपी ही होता है। स्कधादि मर्त एव साकार कार्य से परमाणु की साकारता का स्पष्ट अनुभव होता है । अत सूक्ष्म होने पर भी परमाणु-को साकार माना गया है।
जैन दर्शन मानता है कि स्कध मे से जो अण पैदा होते हैं, वे भेद से होते हैं। इससे यह प्रश्न हो सकता है कि फिर अणु भी अंनित्य हो जाएगा। क्योकि जो अणु पैदा होता है,उसका विनाश भी होता है । अत. परमाणु रूप से पुद्गल द्रव्य की नित्यता की जो मान्यता है, वह घटित नही हो सकेगी नही,ऐसी बात नहीं है। इस मान्यता से पुद्गल द्रव्य की नित्यता मे कोई अन्तर नही पडेगा । क्योकि पुद्गल के दो रूप बताए गए हैं -एक अणु रूप से और दूसरा स्कय रूप से ।। जो पुदगल अणुपरमाणु रूप हैं, उनके उत्पन्न होने का सवाल ही नही उठता है। परन्तु, जो परमाणु स्कघ के रूप में परस्पर मिले हुए हैं, वे एक दूसरे से विलग हो सकते है या नहीं, यह प्रश्न है? इसका उत्तर इस प्रकार दिया गया है कि भेद पूर्वक वे भी स्कघ से अलग होकर परमाणु हो सकते है । जव स्कध मे भेद होता है, स्कव टूटता है, तव अणु पैदा होता है । इस अपेक्षा से अणु स्कघ का कार्य है। परन्तु अणु की उत्पत्ति सयोग से नहीं होती, क्योकि वह अविभाज्य अंश है । जहा सयोग होगा वहा एकाधिक अणु होगे, कम से कम दो तो होगे ही - । भेदादणु ।
-तत्त्वार्य सूत्र, ५,२७. * अणव. स्कधाश्च ।
-तत्त्वार्थ सूत्र, ५,२५.