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रस, स्पर्श युक्त सा
स्पर्श नही
परमाणु में स्कयको
पाए जाते हैं।
उक्त चारो स्पर्श सापेश अणु में नहीं
द्वितीय अध्याय नही देता,फिर भी वह मूर्त है, साकार है । क्योकि वह स्कन्ध-रूप-कार्य का कारण है । जव कार्य मूर्त है, तो कारण भी मूर्त ही होगा। अमूर्त से मूर्त की उत्पति नही होतो और स्कन्ध की उत्पति परमाणुओ के मिलने से होती है, इसलिए परमाणु वर्ण, गध, रस, स्पर्श युक्त साकार है । फिर भी एक परमाणु में स्कध को तरह '५ वर्ण, २ गंध, ५ रस, स्पर्श नही पाए जाते । एक परमाणु मे १ वर्ण,१ गध,१ रस और २स्पर्श पाए जाते हैं ।। दो स्पर्श वे ही पाए जाते है, जो परस्पर विरोधी न हो। कोमल, कठिन, शीत और उष्ण ये चार स्पर्श अणु में नही पाए जाते है । क्योकि उक्त चारो स्पर्श सापेक्ष हैं, अत. स्कघ मे ही पाए जाते हैं। ___ अणु पुद्गल का शुद्ध रूप है । वह शब्द नहीं है, क्यो कि शब्द के लिए अनन्त अणुप्रो के सम्मिलन की आवश्यकता रहती है, अत वह शब्द का कारण नही है। इसी तरह स्कध भी एकाधिक अणुओ का होता है । अत अणु और स्कंध मे भी भेद है । ___ अणु इन्द्रिय ग्राह्य नहीं होता है । तब फिर उसे अरूपी या अमर्त क्यो न मान लिया जाए? हमारी किसी भी इन्द्रिय से उनका परिज्ञान
+ स्कन्ध अनेक परमाणुओं के मिलने से बना है । जैन दर्शन की यह मान्यता है कि स्निग्व-स्निग्ध और रुक्ष-रूक्ष परमाणुओ का वंध नही होता । पर स्निग्ध और रूक्ष परमाणुगो का बन्ध होता है । इस दृष्टि से सभी परमाणुमो में दोनो स्पर्श नही पाए जा सकते । कुछ परमाणु स्निग्ध स्पर्श वाले होगे तो कुछ रूक्ष स्पर्श वाले । इसी तरह वर्ण, गध, रस भी विभिन्न परमाणुओ के सुमेल से एक ही स्कध में सघटित रूप से रहते हैं। फिर भी जिस वर्ण, गंव एव रस के परमाणुओ की अधिकता होती है, वह वर्ण, गध एव रस प्रमुख रूप से दृष्टिगोचर होता है और शेष गौण रूप से रहते है ।
तो कुछ रूक्ष स्पल नही पाए जा सकन्च होता है । शो का बंध नहीं की यह