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प्रदनो के उत्तर
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तो नही है !.
हम यह देख चुके हैं कि संघर्ष का मूल कारण एकांगी दृष्टि है। खुश्चेव के पक्ष के समर्थक राष्ट्र उन के प्रस्ताव को महत्त्व देते हैं, तो अमेरिकन गुट के राष्ट्र उसके विरोध की तैयारी में लगे हैं। प्रत्येक राजनेता अपने विचारों को सही और दूसरे के विचारो को गलत सिद्ध करने का प्रयत्न करता है । अस्तु सघर्ष का अन्त केवल उच्च आदर्गों का प्रदर्शन करने मात्र से नहीं होगा, उसके लिये आवश्यकता इस बात की है कि अपने विचारों को रखने के साथ हम अपने विरोधी विचारों का भी पादर करे। उनकी सर्वथा उपेक्षा न करके उनके विचारो को । उनकी दृष्टि से परखने का प्रयत्न करे । आज आवश्यकता इस वात की है कि सापेक्षवाद को दार्शनिक एव वैज्ञानिक क्षेत्र मे ही सीमित न रखकर उस का राजनैतिक, सामाजिक एवं परिवारिक जीवन मे भी विस्तार करे। जव सभी क्षेत्रो में स्याहाद या सापेक्षवाद का प्रयोग करने लगेगें तो सारी समस्याएं सुलझते देर नहीं लगेगी, वर्तमान में - राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय एव सांप्रदायिक क्षेत्रों में बढ़ रहा तनाव स्वय ही निर्मूल हो जायगा।
विचारकों की दृष्टि में - स्याद्वाद इस तरह हमने देखा स्याद्वाद सभी दृष्टियों से सत्य या वास्तविकता को जानने का साधन है। अब हम स्याहाद के सवध मे कुछ विचारको के विचार प्रस्तुत करेंगे
-मो०. हर्मन जेकोबी , ___ "जैन धर्म के सिद्धांत प्राचीन भारतीय तत्त्वज्ञान और धार्मिक ; पद्धति के अभ्यासियो के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस स्याद्वाद सिद्धांत । से सर्वसत्य विचारो का द्वार खुल जाता है।