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तीर्थंकर चरित-भूमिका
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"हे स्वामिनी ! तुमने स्वप्नमें वृषभ देखा इससे तुम्हारे कूख से मोहरूपी कीचमें फंसे हुए धर्मरूपी रथको निकालने वाला पुत्र होगा। आपने हाथी देखा इससे आपका पुत्र महान पुरुषोंका भी गुरु और बालका स्थानरूप होगा । सिंह देखा इससे आपका पुत्र पुरुषोंमें सिंहके समान धीर, निर्भय, शूरवीर और अस्खलित पराक्रमवाला होगा । लक्ष्मीदेवी देखी इससे आपका पुत्र तीन लोककी साम्राज्यलक्ष्मीका पति होगा । पुष्पमाला देखी इससे आपका पुत्र पुण्य दर्शनवाला होगा; अखिल जगत् उसकी आज्ञाको मालाकी तरह धारण. करेगा । पूर्णचंद्र देखा इससे आपका पुत्र मनोहर और नेत्रोंको आनंद देनेवाला होगा । सूर्य देखा उससे तुम्हारा पुत्र मोहरूपी अन्धकारको नष्ट कर जगत्में उद्योत करने वाला होगा । धर्मध्वज देखा इससे आपका पुत्र आपके वंशमें महान प्रतिष्ठा वाला और धर्म ध्वजी होगा । पूर्ण कुंभ देखा, इससे आपका पुत्र सर्व अतिशयोंसे पूर्ण यानी सर्व अतिशय युक्त होगा । पद्मसरोवर देखा इससे आपका पुत्र संसार रूपी जंगलमें पापतापसे तपते हुए मनुष्योंका ताप हरेगा । क्षीर समुद्र देखा इससे आपका पुत्र अधृष्य-नहीं पहुंचने योग्य होनेपर भी लोग उसके पास जा सकेंगे। विमान देखा इससे आपके पुत्रकी वैमानिक देव भी सेवा करेंगे । रत्नपुंज देखा इससे आपका पुत्र सर्वगुण सम्पन्न रत्नोंकी खानके समान होगा। और जाज्वल्यमान निधूम अग्नि देखा इससे आपका पुत्र अन्य तेजस्वियोंके तेजको फीका करनेवाला होगा।
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