Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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। अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी.
दुरुढासमाणी - अमयमहिय फेगपुंजसप्णिगासाहिं सेयचामर बालवीयणीहि वीइजमाणी. २ संपत्थिया ॥ ५८ ॥ तएणं से सेणिएराया पहाए कय बलिकम्मे जात्र सरीरे हत्थि खंधवरगए सकोरंट मल्लदामेणं छत्तेणं धारिजमाणेणं चउचामराहिं वीइजमाणे धरीणीदेवी पिटुआ अगुगच्छइ ॥ ५९ ॥ तएणं साधारिणी देवी सेणिएणं रण्णा हत्थिखंध वरगएणं पिट्टी २ समणुगम्ममाणमग्गा हयगयरह जोह कलियाए चउरंगिणी सेणाएसद्धिं संपरिबुडा महया भड चडगर बंधपरिखित्ता
प्रकाशक-रामावहादुर लाला सुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी.
व पटिक के कान्ति सपान वेत वस्त्र धारन कीये. और संचानक गंध हस्ती पर आरूढ होती हुई अमृत के फैन के पुंज समान वन कारों से जाती हुई नीकली ॥५८॥ श्रेणिक राजाने भी स्नान कीया कुल्ले किये यावत् अलंकृत शरीर सालास. और श्रेष्ठ गंध हस्ती पर बैठकर कोरंटक वृक्ष के पुष्यों माला वाला छत्र धारन कर चामरो।मान र धारगी देवीके पीछे बैठे कर चले।।५९॥ श्रेणिक राजा साथ हाथी की पाठपर बैठकर पीछ अन्य, गज, रथ व योध यों चतुरंगी सेना से परवरी हुई ध देवी बडे २ भटों से सुरक्षित सब ऋदि सहित या दुनी की निर्दोषणा के अवाज से राज नगर में शंगाटक, त्रिक, चौक व राजमार्ग यावत् महापंथ में नगर के जनों से प्रशंसा पाई हुई वेभारगिरी,
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