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( ५ ) पांचवा उद्देशा. .( १ ) जैसे साधुषोंको आचार्य होते है, वैसे ही साध्वीयोंको आचार, गौचरमें प्रवृत्ति करानेवाली प्रवर्तिनीजी होती है. उस प्रवर्तणीजीको शीतोष्णकालमें आप सहित दो ठाणे विहार करना नहीं कल्पै.
(२) आप सहित तीन ठाणे विहार करना कल्पै.
(३) गणविच्छेदणी-एक संघाडे में आगेवान होके विचरे, उसे गणविच्छेदणी कहते है. उसे आप महित तीन ठाणे शीतोष्णकालमें विहार करना नहीं कल्पै.
(४) परन्तु आप सहित च्यार ठाणेसे विहार करना कल्पै.
( ५ ) प्रवर्तणीको आप सहित तीन ठाणे चातुर्मास करना नहीं कल्पै.
(६) आप सहित च्यार ठाणे चातुर्मास करना कल्पै.
(७) गणविच्छेदणीको आप सहित च्यार ठाणे चातुर्मास करना नहीं कल्पै.
( ८) आप सहित पांच ठाणे चातुर्मास करना कल्प. भावना पूर्ववत्.
(९) ग्राम नगर यावत् राजधानी बहुतसी प्रवर्तणोयों आप सहित तीन ठाणे, बहुतसी गणविच्छेदणीयों आप सहित च्यार ठाणेसे शीतोष्ण कालमें विचरना कल्पै. और बहुतसी प्रवर्तणीयों आप सहित च्यार ठाणे. बहुतसी गणविच्छेदणीयों आप सहित पांच ठाणे चातुर्मास करना कल्प.
( १० ) एक दुसरेकी निश्रामे रहैं.