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२५१ (३) एवं लोहाका पात्रामें भोजन करे तथा अन्य काममें
लेवे.३
(४) एवं तांबाका पात्र करे. (५) धारे रखे. (६) भोगवे.३ (७) एवं तरुवेका पात्रा करे. (८) धारे.
(९) भोगवे. ३ एवं तीन सूत्र सीसाके पात्रोंका १०-१११२. एवं तीन सूत्र कांसीके पात्रोंका १३-१४-१५. एवं तीन सूत्र रुपाके पात्रोंका १६-१७-१८. एवं तीन सूत्र सुवर्णके पात्रोंका १९ - २०-२१. एवं जातिरुप पात्र २४. एवं मणिपात्रोंके तीन सूत्र. २५२६-२७. एवं तीन सूत्र कनकपात्रोंका २८-२९-३०. दांत पात्रोंके ३३. सींग पात्रोंके ३६. एवं वस्त्र पात्रोंके ३९. एवं चर्म पात्रोंके तीन सूत्र ४२. एवं पत्थर पात्रके तीन सूत्र ४५. एवं अंकरत्नोंके पात्रोंका तीन सूत्र ४८. एवं शंख पात्रोंके तीन सूत्र ५१. एवं वज्ररत्नों के पात्र करे, रखे, उपभोगमें लेवे. ३ इति ५४ सूत्र. . भावार्थ-मुनि पात्र रखते है. वह निर्ममत्व भावसे केवल संयमयात्रा निर्वाह करने के लीये ही रखते है. उक्त पात्रो धातुके, ममत्वभाव बढानेवाले है. चौरादिका भय, संयम तथा आत्मघा. तके मुख्य कारण है. वास्ते उक्त पात्रोंकी मना करी है. जैसे ५४ सूत्रों उक्त पात्र निषेधके लीये कहा है, इसी माफिक ५४ सूत्र पात्रोंके बंधन करने के निषेधका समझना. जैसे पात्रोंका लोहका बन्ध करे, लोहके बन्धनवाला पात्र रखे, लोहाका बन्धन वाला पात्र उपभोगमें लेधे यावत् वनरत्नों तकके सूत्र कहना. भावार्थ पूर्ववत्. १०८