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(६४) . (१) वनास्पतिके उत्पात अनन्ता है ।
(२) अगतिके स्थान अपने अपने अगाति स्थानोंसे कहना देखो गत्यागतिका थोकडाकों।
(३) मनुष्य दंडकमें उत्पन्न तो आत्माके असंयमसे होते है परन्तु उपजीबकाधिकारमें कोई संयमसे कोई असंयमसे करते है। जो आत्माके संयमसे मनुष्य जीवे है वह क्या सलेशी होते है या अलेशी होते है ? सलेशी मलेशी दोनों प्रकारसे होते है। जो मलेशी है वह नियमा अक्रिय है । जो अक्रिय है वह नियमा मोक्ष जावेगा।
जो सलेशी है वह नियमा सक्रिय है । जो सक्रिय है वह कितनेक तों तद्भव मोक्ष नावेगा । और कितनेक तद्भव मोक्ष नहीं जावेगा।
जो आत्माके असंयमसे जीवे है वह नियमा सलेशी है । जो सलेशी है वह नियमा सक्रिय है । जो सक्रिय है वह उस भवमे मोक्ष नहीं जावेगा । इति रासीयुम्मा नामका इगतालीप्तवा शतकका प्रथम उदेशा समाप्तं । ४१-१
(२) एवं रासी तेउगा युम्माका उदेशा परन्तु परिमाण ३-७-११-१५ संख्याते असंख्याते । ___ (३) एवं रासी दाबर युम्माका उदेशा परन्तु परिमाण २-६-१०-१४ संख्याते असंख्याते ।
(४) एवं रासी कलयुगा उदेशा परन्तु परिमाण १-५-९.१३ संख्याते असंख्याते।
इस च्यार उदेशोंकों ओघ (समुच्चय) उदेशा कहते है ।