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(४) एवं शुक्ल लेश्याका भी च्यार उदेशा परन्तु दंडक तीन है मनुष्यके दंडकमें जेस समुच्चयमें विस्तार किया है संयम सलेशी अलेशी सक्रिय अक्रिय तद्भव मोक्ष माना काहा है वह सर्व कहेना । इति च्यार उदेशा समुच्चय और छे लेश्याके चौवीस उदेशा सर्व २८ उदेशा होता है।
२८ उदेशा ओघ (समुच्चय) लेश्या संयुक्त २८ उदेशा भव्य सिद्धि जीवोंका पूर्ववत्
२८ उदेशा अभव्य सिद्धि जीवोंका परन्तु सर्व स्थान असंयम ही समझना
२८ उदेशा सम्यग्दृष्टी जीवोंका ओघवत् २८ उदेशा मिथ्यात्वी जीवोंका अभव्यवत् २८ उदेशा कृष्णपक्षी जीवोंका अभव्यक्त २८ उदेशा शुक्ल पक्षी जीवोंका ओघवत्
इति १९६ उदेशा हुवे इति एगतालीसवा शतक समाप्तम्
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
___ थोकडा नम्बर १९
श्री भगवती सूत्रकि समाप्ती । संप्रत समय प्रायः पैतालीस आगम माना जाते है जिस्मे पञ्चमाङ्ग भगवति सूत्र बडा ही महात्ववाला है। इस भगवती सूत्रमें ____ (१) मुनीन्द्र-इंद्रभूति अग्निभूति नग्रन्थपुत्र नारदपुत्र कालसवेसी गंगयाजी आदि मुनियोंके प्रश्नके उत्तर