Book Title: Shighra Bodh Part 21 To 25
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 374
________________ .. (५०) हे मगवान् ! जीव कौकों उम्शमाते है वह क्या उदीरत कर्मोको अनुदीरत कर्मों का, उदय आने योग कोका, उदय समय पश्चात अन्तर समयको उपशमाते हैं ? . . ___ (उ०) हे गौतम ! अनुदय कर्मों का उपयम होता है अर्थत उदय नहीं आये एसे सतामें रहे हुवे कर्मों को उपशमाते है वह उत्स्पानादिसे उपशमाते हैं एवं कर्मोको वेदते है परन्तु उदय आये हुवे कर्मोको वेदते है एवं निरा परन्तु उदय अणान्तर पूर्वकृत समय अर्थात् उदय आये हुवेको मोगवने के बाद कर्मोकि निर्मा करते है इस Rब पदके अन्दर उत्स्यानादि पुरुषार्थसे ही करते है। यहां गोतालादि नित्य बादीयों जो उत्स्थान बल कम्म वार्य और पुरुषार्थको नहीं मानते है उन्हीं बादीयोंके मत्तका निराकार कीया है। इति । सेवं भंते सेवं भंते तमेव सचम् । थोकडा नम्बर ५ सूत्र श्री भगवतीजी शतक १ उदेशो ४ . (वार्य विषय प्रश्नोत्तर) - (०) हे भगवान् । जीत जीवों ने पूर्व मोहनि कर्म संचय किया है वह वर्तमानमे उदय होनेर जीव पाभव गमन करे । ___ (उ०) हे गौ..म । पूर्व आयुन्य क्षय होनेपर परमव गमन 'काते है। - (प्र०) वह भी। परमा गपन करता है तो क्या वय करता है।

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