Book Title: Shighra Bodh Part 21 To 25
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 410
________________ ( ५५ ) (२) अपञ्चखांणी असंख्यात गुणा मनुष्यकि अल्पा० (३) (१) स्तोक सर्व मूलगुण पच्चखांणी जीव है । (२) देश मूलगुण पञ्चखांणी जीव असंख्यात गुण (३) अपचखांणी जीव असंख्यात गुणा जेसे सर्व मूल गुण पच्चखाणकि अल्पा बहुत्व कही है इसी माफीक सर्व उत्तर गुण देश उत्तर गुण पच्चखांणीकि भी अल्स बहुत्व कहना । (प्र०) हे भगवान् । जीवों संयति है ? असंयति है ? संयता संयति है ? नो संयति नो असंयति नो संयता असंयति है ? (उ०) जीवों चारों प्रकारके होते है। कारण नरकादि २२ दंडक असंयति है तीर्थंच पांचेन्द्रिय असंयति, और संयतासंयति है तथा मनुष्य असंयति, संयति, संयतासंयति, तीन प्रकार के है और सिद्ध भगवान नो संयति नो असंयति, नो संयतासंयति इस तीन भांगोंमे नही किन्तु नो संयति, नो असंयति, मो संयतासंयति है इसी वास्ते जीवों च्यारों प्रकार के है । समुच्चय जीवोंकि अल्पा० (१) (१) स्तोक संयति जीव । (२) संयतासंयति असंख्यात गुणा (३) नो संयति नो असंयति नो. संयतासंयति अनन्तगुणा (४) असंयति जीव अनन्त गुणा ठीच पांचेन्द्रियकि अल्पा० (२) • (१) स्वोक संयतासंयति जीव ।

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