Book Title: Shighra Bodh Part 21 To 25
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 414
________________ (५९) (प्र० ] जीव असाता वेदनि कर्म किस कारणसे बांधते है ? ( 3 ) सर्व प्राणभूत जीव सत्वकों दुःख देवे तकलीफ देवे झूरापा करावे उपद्रव करे विग्र करावे यावत् आपात करानेसे जीव असाता वेदनिय कर्म बांधता है एवं यावत् २४ दंडक समझना । (प्र) जीव साता वेदनिय कर्म केसे बांधता है ? ( उ ) प्राणभूत जीव सत्व बहुतसे प्राणभूत जीव सत्वकि अनुकम्पा करे | दुःख तकलीफ न दे। अशुपात न करावे यावत् साता देने से साता वेदनिय कर्म बांधते है । यावत् २४ दंडक समझना इति । सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् । थोकंडा नम्बर १४ सूत्र श्री भगवतीजी शतक ७ उद्देशा ७ ( काम भोग ) जीव अनादि काल से इस आरापार संसार समुद्र में परिभ्रमण करता है इसका मौख्य कारण इन्द्रियोंके वसीभूत हो स्वसत्ताक भूल जाता है पर वस्तुकों अपनिकर उसमे ही रमणता करता है वास्ते मोक्षार्थी भव्यात्मावोंको प्रथम इस इन्द्रियोंको ओलखनी चाहिये । पांचेन्द्रियोंमें दोय इन्द्रियों तो कामी है जो शब्द और रूपके पुगलों पर ही चैतन्यकों आकर्ष कर रही है और तीन इन्द्रियों भोगी है वह गंध अस्वादन और स्पर्शकों भोंगमें लेके चैतन्यकों 1

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