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(११) (उ) काम दो प्रकारको (१) शब्द (२) रूप (प्र) हे भगवान् ! भोग क्या रूपी है ? अरूपी है ?
(उ) भोग रूमी है किन्तु यरूपी नहीं है। एवं सचित्त अचित्त है जीव भनीव दोन प्रकार के है। ......! . .
(प्र) भोग जीवके होते है ? अजीवके होते है ?
(उ) मोग जीवोंके होते है परन्तु मजीवोंके नहीं होते है कारण घ्राणेन्द्रिय रेसेन्द्रिय स्पर्शेन्द्रिय होती है वह जीवके ही होती है न कि अजीवके ।
(प्र) भोग कितने प्रकारके है ? (उ) भोग तीन प्रकारके है गन्ध रस स्पर्श (प्र) हे भगवान् काम और भोग कितने प्रकारके है ? (उ) काम भोग पांच प्रकारके है शब्द रूप गन्ध रस स्पर्श ,
(प्र) हे भगवान् । जीव कामी है या भोगी है ? . (उ) जीव कामी भोगी दोनों प्रकारका है। कारण | श्रोतेन्द्रिय चक्षुइन्द्रिय अपेक्षा जीव कामी है और घाणेन्द्रिय रसेन्द्रिय स्पर्शेन्द्रिय अपेक्षा जीव भोगी है । एवं नरकादि १६ दंडक कामी भोगी दोनों प्रकारके है । चोरिन्द्रिय दंडकमें चक्षुइन्द्रिय पेक्षा कामी शेष तीन इन्द्रिय अपेक्षा भोगी है शेष पांच स्थावर बे इन्द्रिय तेन्द्रिय एवं ७ दंडक कामी नहीं है परन्तु मोगी है कारण तेन्द्रिय तीनों इन्द्रियों अपेक्षा वेन्द्रिय दो इन्द्रिय और एकेन्द्रिय एकस्पशेन्द्रियापेक्षा भोगी है।