Book Title: Shighra Bodh Part 21 To 25
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 412
________________ (५७) (प्र) हे भगवान् । यहां मनुष्य तीर्यचमें रहा जीव नरकका आयुष्य बान्धा हुबा है वह जीव नरकका आयुष्य क्या यहांपर वेदता है ? नरकमें उत्पन्न समय वेदता है ? नरकमें उत्पन्न होनेके बाद नरकका आयुष्य वेदता है ?. (उ) यहांपर नरकका आयुष्य नहीं वेदता है कारण जहांतक मनुष्य तीर्यचके शरीरको नहीं छोड़ा है वहां तक तो यहांका ही आयुष्यकों वेदेगा और जब यहांके शरीरकों छोड देगा. तब नरकमें उत्पन्न समय तथा नरकमें उत्पन्न होनेके बाद नरकका ही आयुष्यकों वेदेगा अर्थात् नरकमें जाते समय यहांका शरीर छोड एकाद समयकि विग्रह गति भी करेंगा तो नरकका ही आयु. ष्यको वेदंगा । एवं २४ दंडक । (प्र) हे भगवान् । जो जीव नरकमें उत्पन्न होनेवाला है उसको यहांपर महावेदना होती है ? नरकमें उत्पन्न समय महावेदना होती है ? नरकमें उत्पन्न होनेके बादमें महावेदना होती है ? (3) यहांपर तथा उत्पन्न होते समय स्यात् महावेदना स्यात् अल्प वेदना परन्तु उत्पन्न होनेके बाद तो एकान्त महावे. दना अर्थात् असाता वेदनाकों ही वेदते है कदाच साता । तीर्थकरोंके कल्याणकादिमें स्वरूप समय साता होती है । और तेरहा (१३) दंडक देवताओंके भी इसी माफीक परन्तु उत्पन्न होनेके बाद एकान्त साता वेदना वेदते है । कदाच देवांगना तथा रत्न अपहरण समय असाताको भी वेदते है । औदारीक शरीर वालोंका दश

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