Book Title: Shighra Bodh Part 21 To 25
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 403
________________ (१८) (१०) "अद्धाकाल' नवकारसी आदि दश प्रत्याख्यान । प्रत्याख्यान करनेमें आगारों का विवरण । - (१) 'अनाभोग ' विस्मृति प्रत्याख्यान किया है परन्तु उसकों भूल जानेपर वस्तु खाने में मा जावे तों ब्रा भंग नहीं हुवे । परन्तु खाती बखत स्मृति हो कि मेने प्रत्याख्यान किया था । तो मुहसे निकाल उस वातुकों एकान्त परिट्ठदे अगर स्मृति होनेपर थी मुहकी वस्तु खानावे तो व्रत भंग होता है। (२) 'सहसात्कारे', प्रत्याख्यान किया है और स्मृति भी है परन्तु चालतों वर्षातकी बुंद मुहमें पडे, दही वीलों तो छांटो मुहमें पडे । शकर तोलतों रन मुहमें पड़े, इसका आगार है। खबर पडनेसे उस्कों पूर्वोक्त पर देना। (३) 'महत्तरगार' ! अगर कोई महान् लामका कारण है संघ समुदायका कार्य हों, बहुत जीवोंको लाभका कार्य हों, संघ आदिका कहना होनेसे (मागार ) (४) "सर्व समाधि निमत्त " मान्तकादि महान् रोग तीव. शुल सादिका डंक इत्यादि मरणान्तिक कष्ट होने समय औषदादि ग्रहण करनेका आयार । . (५) 'प्रच्छन्न काल मेषके बादलोंसे, रजउर्ध्व गमनसे, ग्रहादि दिग्दाहासे सूर्य दिखाई न देता हो ? उस हालतमें अधुरां पच्चखाण पारा जाय तो 'आगार' (६) "दिग्मोहेन' ! दिशाका विपर्यास पण अर्थात् पूर्व दिशा. को पश्चम दिशाका संकल्पकर कालकि पूर्ण खबर न पडनेसे प्रत्या० पारा हो तो 'आगार'

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