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करता है या अदुःखी है वह जीव दुःखको स्पर्श करता है । अर्थात् दुःख है सो दुःखी जीवोंकों स्पर्श करता है या अदुःखी जीवोंको स्पर्श करता है। ___ (उ०) दुःखी जीवोंकों दुःख स्पर्श करता है। किंतु अदुःखी जीवोंकों दुःख स्पर्श नहीं करता है। भावार्थ सिद्धोंको जीव अदुःखी है उनोंकों दुःख कबी स्पर्श नही करता है जो संसारी नीव जीस दुःखकों बांधा है वह अबाधा काल परिपक्व होनेसे उदयमें पाया हो वह दुःख जीव दुःखको स्पर्श करते है अगर दुःख बन्धा हुआ होनेपर भी उदयमें नहीं आया हों वह जीव अदुःखी है वह दुःखको स्पर्श नहीं करते है इस अपेक्षाकों सर्वत्र भावना करना।
(०) हे भगवान् ! दुःखी नैरिया दुःखको स्पर्श करे या अदुःखी नैरिया दुःखको स्पर्श करे !
(उ०) दुःखी नैरिया दुःखको स्पर्शे परन्तु अदुःखी नैरिया दुःखको स्पर्श नहीं करे भावना पूर्ववत उदय गाये हुवे दुःखकों स्पर्श करे । उदय नही आये हुवे दुःखको स्पर्श नहीं करे । तथा नो दुःख उदयमें आये है उस दुःखकि अपेक्षा दुःखको स्पर्श नहीं करे और जो दुःख न बन्धा है न उदयमें आये है इसापेक्षा वह नारकि अदुःखी है और दुःखकों स्पर्श नहीं करते है एवं २४ दंडक समझना भावना सर्वत्र पूर्ववत् समझना । इसो माफीक दुःख पर्याय अर्थात् निधनादि कर्म पर्याय एवं दुःखकि उदीरणा, एवं दुःखकों वेदणा एवं दुःखकि निर्जरा दुःखी होगा वह ही करेंगा । समुञ्चय जीव और चौवीस दंडक एवं २५ सुत्रपर पांच