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(२७) (प्र०) नारकी नारकीमें उत्पन्न होता है वह क्या (१) अद्धासे अद्धा उत्पन्न होता है (२) मद्धासे सर्व (३) सर्वसे श्रद्धा (४) सर्वसे सर्व उत्पन्न होता है ?
. (उ०) जैसे पूर्वोक्त आठ द्वार कहे हैं वैसे ही प्रथम उत्पन्न कालमें चौथा मांगा और बाहारमें तीजा, चौथा भागेसे कहना। इति २१ दंडक पर १६-१६ द्वार करनेसे ३८४ भागे होते है।
(प्र०) हे भगवान् ! नीव विग्रह गतीवाला है या अविग्रह गतीवाला है ?
(उ०) स्यात् विग्रह गतीवाला है स्यात् अविग्रह गतीवाला मी है एवं नरकादि २४ दंडक मी समझ लेना ।
(प्र०) घणा जीव क्या विग्रह गतीवाला है कि अविग्रह गतीवाला है ? (उ०) विग्रह गतीवाला मी घणा अविग्रह गतीवाला मी घगा। (१०) नारकीकी पृच्छा ?
(उ०) नारकीमें (१) अविग्रह गतीवाला सास्वता (स्थानापेक्षा) (२) अविग्रह गतीवाला घणा, विग्रह गतीवाला एक (३)
विग्रह गतीवाला घणा और विग्रह गतीवाला मी घणा एवं तीन मागा हुवा इसी माफक प्रप्त जीवोंके १९ दंडकमें ३-३ मांगे
गानेसे ५७ मांगे हुवे और पांच स्थावर समुच्चयकी माफक अर्थात् विग्रह गतीवाला मी घगा और अविग्रह गतीवाला मी घणा। पूर्वोक ३८४ और ५७ मिटके कुल मागा ४४१ हुवा ।
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।