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है और तेजस कारमण शरीरापेक्षा शरीर सहित उत्पन्न होते हैं कारन कह दोनो शरीर परमवमें साथ रहती हैं।
(१०) हे भगवान् । गर्ममें उत्पन्न होनेवाला जीव प्रथम काहेका आहार लेता है ?
(उ०) माना के रौद्र और पिताके शुकका प्रथम आहार लेता है फिर उस जीवकी माता जिप्त प्रकारका आहार करती है उसके एक देशका आहार पूत्र मी करता है कारन माताको नाडो और पुत्रकी नाड़ीसे संबन्ध है।
(प्र.) गमें रहे हुवे जीवको रघु नीत, बड़ी नीत, क्षेत्र, श्लेष्म, नमन, पित है? ____ (उ०) उक्त वाते नहीं है। जो आहार करता है वह श्रोते. न्द्रिय, क्षु० घ्राण. रस० स्पर्शेन्द्रिय, हाड़, हाड़की मीजी, केस, नख पने प्रणमता है कारन गर्भके बीवको कालाहार नहीं है इसलिये रघु नीती, बड़ी नीती नहीं है रामाहार है, वह सर्व आहार करे सर्व प्रणमें स६ श्वासनिश्वासे इसी माफक बार बार यावत् निश्वासे।
(प्र०) जीवके माताका अंग कितना है और पिताका अंग कितना है।
(उ०) मांस, कोही और मस्तक यह तीनों अंग माताके है और अस्ति (हाड़), हाड़की मीनी, केश और नल यह तीन अंग पिताके है।
. (३०) माता पिताका अंस (प्रथमु समयका आहार) बीवोंके कितने काल तक रहता है।