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(4) प्रणातिपातकि क्रिया करते है तो क्या स्पर्शसे करते है या मस्पर्शसे करते है।
(उ) क्रिया करते है वह स्पर्शसे करते है न कि अस्पर्शसे परन्तु अगर व्याघात (अलोककि) हो तो स्यात्। तीन दिशा, च्यार दिशा, पांच दिशा, और निर्यात हो तो नियमा छे दिशायोंकों स्पर्श क्रिया करते है। ___(4) हे भगवान् । जीव क्रिया करते है वहा क्या कृत क्रिया है या अकृत किया है।
(3) कृत क्रिश है पान्तु अकृत नही है।
(१०) हे मावान ! अगर कृत क्रिया है तो क्या आत्मकृत पाकृत उमयकृत क्रिया है।
(उ०) आत्मकृत क्रिया है किन्तु परकृत उभयकृत क्रिश नहीं है। ___ (प्र०) स्वकृत क्रिया है तो क्या अनुक्रमे हे या अनुक्रम रहित है !
' (उ०) अनुक्ररसे क्रिया है अनुक्र रहित क्रिया नहीं है। जो क्रिया करी है करते है और करेंगा वह सब अनुक्रम ही है । भावार्थ क्रिया अनुक्रमसे ही होती है परन्तु अनानुक्रम नहीं होती है। क्रियामें कालकि अपेक्षा होती है और काल हे सो प्रथम समय निष्ट होने पर दुसरा तीसरादि क्रमापर होते है इत्यादि । एवं नरकादि २४ दंडक परन्तु समुच्चय जीव और पांच स्थावरमें व्याघातापेक्षा स्यात तीन दिशा, च्यार दिशा, पांच दिशा और निर्याघात अपेक्षा छे दिशा तथा शेष १९ दंडकमें भी छे दिशावों में