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(२) देवीन्द्र - शकेन्द्र ईशानेन्द्र चमरेन्द्र और ४ सूरियाम आदि देवोंके पुच्छे हुवे प्रश्नोंके उत्तर
(३) नरेन्द्र- उदाइ राजा, श्रेणक राजा, कोणक राजा, आदि राजावां के पुच्छे हुवे प्रश्नोंके उत्तर
(४) श्रावकों - आनन्द, कामदेव, संख, पोखली, मंडुक, सुर्दशन और भी आलंभीया ना गरीके, तुंगीया नगरीके श्रावर्कोके पुच्छे हुवे प्रश्नोका उत्तर |
(१) श्राविका - मृगावती जेयवन्ती सुलसा चेलना सेवानन्दा आदि श्राविका के पृच्छा हुवा प्रश्नोंके उत्तर ।
(६) अन्य तीर्थीयों - कालोदाइ सेलोदाइ संखोदाई शिवराज ऋषि पोगल नामका सैन्यासी तथा सौमल ब्रह्मण आदि अन्य तीर्थीयों के पुच्छे हुवे प्रश्नोंका उत्तर ।
इसके सिवाय इस आगमार्णवमें केवल गौतमस्वामिके पुच्छे हुवे ३६००० प्रश्नोका उत्तर भगवान वीर प्रभु दीया है ।
इस सूत्र समुद्रसे अमूल्य रत्न ग्रहन करनेकि अभिलाषावाले भव्य आत्मावोंके लिये शास्त्रकारोंने च्यार अनुयोगरूपी च्यार नौका बतलाये है जेसे कि -
(१) द्रव्यानुयोग - जिस्मे जीव और कका निर्णीर्थे षद्रव्य सात नय च्यार निक्षेपा सप्तभंगी अष्टपक्ष उत्सर्गोपवाद सामान्य विशेष अबीर भाव भाव कारण कार्य द्रव्यगुणपर्याय द्रव्यक्षेत्र कालभाव इत्यादि स्याद्वाद शैलीसे वस्तत्त्वका ज्ञान होना उसे द्रव्यानुयोग्य कहते है ।