________________
(२) निरान्तर उत्पन्न होतों ज० दोय समय उ० असंख्यात समय उत्पन्न हुवा ही करे।
(१) ज० समयद्वार-(१) जिस समय रासी कडयुम्मा है उस समय रासी तेउगा नहीं है । (२) निस समय रासी तेउगा है उस समय रासी कडयुम्मा नहीं है (३) जिस समय रासी कडयुम्मा है उस समय रासी दाबरयुम्मा नहीं है (४) जिस समय राप्ती दाबरयुम्मा है उप्त समय कडयुम्मा नहीं है (५) निस समय रासी कडयुम्मा है उस समय रासी कलयुग नहीं है (६) जिस समय रासी कलयुग है उस समय रासी कडयुम्मा नहीं है । अर्थात् च्यारो युग्मासे एक होगा उस समय शेषका निषेद है।
(५) नारकिमें जीव कीस तरहसे उत्पन्न होता है (२५८) सथवाडाका द्रष्टांतकी माफीक उत्पन्न होते है।
(प्र) नारकीमें जीव उत्पन्न होते है वह आत्माके संयमसे या असंयमसे उत्पन्न होते है।
(उ) आत्माका असंयमसे उत्पन्न होते है। .. (प्र) आत्माका संयमसे जीवे है या असंयमसे ।
(उ) असंयम-से जीवे है वह अलेशी नहीं परन्तु सलेशी है अक्रिया नहीं किंतु सक्रिया है।
(प्र) सक्रिय नारकी उसी भवमें मोक्ष जावेगा। (उ) नहीं उसी भवमें मोक्ष नहीं जावे ।
इसी माफीक २४ दंडककि पृच्छा और उत्तर है निस्के अन्दर जो नाणन्ता है सो निचे बतलाते है।