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थोकड़ा नम्बर १८. श्री भगवतीजी सूत्र शतक ४१वां
(रासी युम्मा ) (प्र) हे भगवान । रासी युम्मा कितने प्रकारके है।
(उ०) हे गौतम । रासी युम्मा च्यार प्रकारके है। यथा रासी कडयुम्मा, रासी तेउगायुम्मा, रासी दाबरयुम्मा, रासी कलयुगायुम्मा।
(१०) हे भगवान् रासी कडयुम्मा यावत् रासी कलयुगा कीसकों कहते है।
(१) जीस रासीके अन्दरसे च्यार च्यार निकालने पर शे च्यार रूप वढनावे उसे रासी कडयुम्मा कहते है (२) इसी माफीव शेष तीन वढ जानेसे रासी तेउगा (३) दोय वढ जानेसे रासी दाबर युम्मा (४) और एक बढ जानेसे रासी दाबर युम्मा कहा जाते है।
(प) रासी युम्ना नारकी कहासे आके उत्पन्न होते है ?
(१) उत्पात-पांच संज्ञी तीयंच पांच असंज्ञी तीयेच तथा एक संख्याल वर्षका कम भूमि मनुष्य एवं ११ स्थानोंसे आके उत्पन्न होते है।
(२) परिमाण- ४.८.१२.१६ यावत् संख्या० मसंख्याते । (३) सान्तर-और निरान्तर।
(१) सान्तर-उत्पन्न हो तो ज० एक समय उत्कृष्ट असंख्यात समय तक हुवा ही करे।