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(७२) ऋद्धिके वारामे यह विषय बहुत सुगम है जोकि रघु दंडके जाननेवाला सहनमें ही समझ सका है। ...गमा और ऋद्धि के लिये हमने प्रथम थोकडाही अलग बना दीया है अगर पेस्तर वह योकडा पड लिया जायगा तो फीर बहुत सुगम हो जायगा। ___ पाठक वर्गको इस बातकों खास ध्यान में रखनि चाहिये कि स्वरूप ही ज्ञान क्यों न हो, परन्तु कण्ठस्य किया हुआ हो वह इतना तो उपयोगी होनाता है कि मिन्न भिन्न विषा में पूर्ण मदद. कार बनके विषयकों पूर्ण तौर ध्यानमें जमा देते है। ___इस शीघ्र बोधके सब भागमें हमाग प्रथम हेतु ज्ञानाभ्याषो. योंकों कण्ठस्थ करानेका है और इसी हेतुसे हम विस्तार नहीं करते हुवे संक्षिप्तसे ही सार सार समझा देते है। आसा है कि इस हमारे इरादेकों पूर्ण कर पाठक अपनि आत्माका कल्याण आवश्य करेगा। किमधिकम् ।
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सचम् । इति शीघ्रबोध भाग २३ वां समाप्त ।