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(७) उदयद्धार-ज्ञानावणिय उदयबाला एक ज्ञाना० उदयबाला बहुत एवं यावत् अंतराय कर्मका।
(८) उदिरणाद्वार-आयुष्य और वेदेनिय कर्मोका भाठ भाठ मांगा शेष छे कर्मोका दो दो मागा पूर्ववत ।।
(९) लेश्याद्धार-शालीके मूलमें जीव उत्पन्न होते है उस्मे लेण्या स्यातकृष्ण स्थानिक स्यातकापात लेश्या होती है बहुत जीवों अपेक्षा २६ मागा होते है देखो शीघ्र. राग ८ उस्पेलोधिकार ।
(१०) दृष्टीद्वार दृष्टी एक मिथ्यात्यकि मांगा दोय । एक भीवोत्पन्नापेक्षा एक, बहुत बीवोत्पन्नापेक्षा बहुत।।
(११) ज्ञानद्धार-अज्ञानी एक मज्ञानी बहुत । (१२) योगद्वार-काययोगि एक काययोगि बहुत। (१३) उपयोगद्वार-साकार अनाकारके भांगा आठ ।
(१४) वर्णद्वार-जीवापेक्षा वर्णादि नही होते हैं और शरी. रापेक्षा पांच वर्ण दोय गंध पांच रस आठ स्पर्श पावे ।
(१५) उश्वासद्वार-उश्वास, निःश्वासा नोउश्व सनोनिश्वास तीन पदके मांगा २६ उत्पन्वत । : (११) आहारद्वार-आहारीक एक-बहुता एक और बहुतके
दो मांगा।
१ शीघ्रबोध भाग ८ वांमें उत्पल कमलके ३२ द्वार सविस्तार छप गये हैं वास्ते सादृश विषयकि भोलामन दी गइ है, देखो आठवा भाग।