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है । कारण औदारीक शरीर वारीके लेश्या भन्तर महूर्तसे अधिक नही रहेती है इति २६-२-२२
(३) एवं निल्लेश्यावाले वेन्द्रियका शतक |
(४) एवं काप तशी बेन्द्रियका अन्तर शतक |
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इसी माफीक मव्य सिद्धि जीवोंका मी लेश्या संयुक्त च्यार शतक कहाना • सर्व जीवोंकि उत्पात एकेन्द्रिय महायुम्मा कि माफीक समझना - कारण सर्व जीव मन्यपणे उत्पन्न नही हुवा न होगा - पर्व जीवोंमें अन्य जीव भी समेल है । अमत्र्य मव्यपणे न उत्पन्न हुवा न होगा |
इसी माफीक लेश्या संयुक्त च्यार शतक अभय सिद्धि जीवोंका भी समझना । इति छत्तीसवां मूळ शतक के बारह अन्तर शतक प्रत्येक शतके ग्यारा इग्यारा उद्देशा होनेसे १३२ उद्देशा हुवा इति ३६ वा शतक समाप्तं ।
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् ।
थोकड़ा नम्बर १४
सूत्र श्री भगवतीजी शतक ३७ वां (तेन्द्रिय महायुम्मा )
जेसे वेन्द्रिय महायुम्मा शतक के १३२ उद्देशा कहा है इसी माफीक तेन्द्रिय महाशतक के बारहा अन्तर शतक और प्रत्येक शतक के इग्यारा इग्यारा उदेशा कर सर्व १३२ कह देना परन्तु यहां पर ।